बिलासपुर। हाई कोर्ट ने सहायक उप निरीक्षक (चालक) के पद पर जारी पदोन्नति आदेश के निष्पादन पर रोक लगाते हुए पुलिस महानिदेशक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल से इस संबंध में जवाब तलब किया है। रायपुर निवासी और 20 वीं बटालियन परसदा महासमुंद में पदस्थ प्रधान आरक्षक महेंद्र सिंह कोरम की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने दोनों आला अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।
छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल पुलिस मुख्यालय द्वारा 5 जून 2025 को वर्ष 2025 की पदोन्नति प्रक्रिया के तहत प्रधान आरक्षक चालक से सहायक उप निरीक्षक एमटी/चालक पद के लिए योग्यता सूची जारी की गई थी। इसके आधार पर 27 जून 2025 को 29 प्रधान आरक्षकों को पदोन्नति देने का आदेश जारी किया गया था। इसी आदेश के निष्पादन पर हाई कोर्ट ने अंतरिम रूप से रोक लगाई है।
रायपुर के महेंद्र सिंह कोरम ने अपने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि वे वर्ष 2003 से प्रधान आरक्षक चालक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने 9 जून 2025 को डीजीपी के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत करते हुए कहा था कि 5 जून को जारी योग्यता सूची में वरिष्ठता की गणना आमद तिथि के आधार पर की गई है, जो कि विभागीय नियमों के विरुद्ध है।
याचिकाकर्ता के अनुसार, वर्ष 2022 में 23 सितंबर को जारी योग्यता सूची के अनुसार यदि नियमपूर्वक गणना होती, तो उनका क्रमांक 30 से 35 के बीच आता। लेकिन नई सूची में उन्हें 47वें स्थान पर रखा गया है। इससे साफ है कि वरिष्ठता के निर्धारण में त्रुटि हुई है, जिससे पूरी पदोन्नति प्रक्रिया संदिग्ध हो गई है।
मामले की सुनवाई जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच में हुई। कोर्ट ने यह मानते हुए कि याचिका विचाराधीन है और पदोन्नति सूची पर सवाल उठाए गए हैं, 27 जून को जारी पदोन्नति आदेश के निष्पादन पर अगले आदेश तक के लिए अंतरिम रोक लगा दी। साथ ही डीजीपी और एडीजी सशस्त्र बल से मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है। अब पुलिस विभाग को हाई कोर्ट में जवाब प्रस्तुत करना होगा कि वरिष्ठता सूची में गड़बड़ी कैसे हुई और किस नियम के आधार पर नई योग्यता सूची तैयार की गई। इस आदेश के बाद उन 29 कर्मचारियों की पदोन्नति पर भी फिलहाल असमंजस की स्थिति बन गई है, जिन्हें 27 जून को एएसआइ (चालक) के पद पर पदोन्नति दी गई थी।

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