बिलासपुर। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में बहस पूरी हो गई है। दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
शराब घोटाला में गिरफ्तार चैतन्य बघेल 18 जुलाई से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। चैतन्य बघेल ने ईडी की गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए राहत की मांग की है। ईडी ने चैतन्य के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर विस्तार से तर्क दिया। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया हैं।
शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने चैतन्य बघेल को आरोपी बनाया है। आरोप है कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले। ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट कर व्हाइट करने की कोशिश की गई है. इसके अलावा एक हजार करोड़ की करोड़ रुपए की हेराफेरी का भी आरोप है. ईडी ने अपनी जांच में पाया कि चैतन्य बघेल के विल ग्रीन प्रोजेक्ट में घोटाले के पैसे को निवेश किया गया है। डिजिटल डिवाइसेस से पता चला कि बघेल की कंपनी ने एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया, जो रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया।
चैतन्य बघेल के अधिवक्ता फैजल रिजवी ने कहा कि पप्पू बंसल के बयान को आधार बनाते हुए चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी की गई है जो सही नहीं है। 2022 से शराब घोटाले मामले में जांच चल रही है, और आज चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी तक एक भी समन चैतन्य बघेल को नहीं दिया गया है। मार्च में जब उनके घर में रेड की गई थी, तब उनके सभी डिजिटल डिवाइस जब्त कर लिए थे, जो डॉक्यूमेंट एजेंसी ने मांगी थी, उन्हें सभी डॉक्यूमेंट को चैतन्य के जरिए दिया गया है।
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