बस्तर छत्तीसगढ़ ।प्रतिबंधित और अवैध सीपीआई माओवादी संगठन की केंद्रीय समिति द्वारा 5 नवम्बर को जारी ताज़ा प्रेस विज्ञप्ति ने एक बार फिर संगठन के भीतर बढ़ती हताशा वैचारिक भ्रम और आंतरिक कलह को उजागर कर दिया है। समाज की मुख्यधारा में शामिल हुए माओवादी कैडरों को देशद्रोही कहने का प्रयास संगठन के भीतर गहरे अविश्वास और टूटन को दर्शाता है।
पुलिस के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में केंद्रीय तथा जोनल समिति के कई वरिष्ठ माओवादी कैडरों ने हिंसा की निरर्थकता और तथाकथित दीर्घकालिक जनयुद्ध की खोखली अवधारणा को समझते हुए आत्मसमर्पण किया है। यह प्रवृत्ति इस बात का स्पष्ट संकेत है कि बस्तर क्षेत्र में माओवादी आंदोलन तेजी से अपना प्रभाव और अस्तित्व खो रहा है।
बस्तर में अब शांति, विकास और शासन में जनता की बढ़ती भागीदारी दिखाई दे रही है। वहीं, बचे हुए माओवादी संगठन अब भी आपसी आरोप-प्रत्यारोप और हिंसात्मक विचारधारा में उलझे हुए हैं। बस्तर की जनता ने हिंसा को ठुकराकर शांति और प्रगति का मार्ग चुन लिया है।
पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज आईपीएस सुंदरराज पट्टलिंगम ने कहा कि सरकार की मंशा के अनुरूप पुलिस सुरक्षा बल और स्थानीय प्रशासन पुनः यह स्पष्ट करते हैं कि आत्मसमर्पण और पुनर्वास का द्वार उन सभी माओवादियों के लिए खुला है जो मुख्यधारा में शामिल होकर सम्मान और शांति का जीवन जीना चाहते हैं। किंतु यदि यह अपील अनसुनी की जाती है तो उन्हें उसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।
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