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October 26, 2025 2:38 am

बस्तर में बड़ा बदलाव,माओवादी कैडरों ने सामूहिक रूप से थामा शांति का मार्ग, रूपेश का वीडियो बयान आया सामने

बस्तर रेंज आईजी आईपीएस सुंदरराज पी ने रूपेश और उनके साथियों के इस कदम का किया स्वागत

बस्तर। दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति के नॉर्थ सब-ज़ोनल ब्यूरो से जुड़े 210 माओवादी कैदरों ने सामूहिक रूप से हथियार डालकर हिंसा छोड़ने और मुख्यधारा में लौटने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह फैसला पार्टी के पुनर्वासित केंद्रीय समिति सदस्य रूपेश उर्फ़ सतीश द्वारा जारी किए गए वीडियो संदेश में विस्तार से सामने आया है।

रूपेश ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि यह निर्णय व्यक्तिगत नहीं बल्कि अधिकांश कैडरो का सामूहिक  विचारशील और सुविचारित फैसला है जो शांति विकास और सम्मानजनक जीवन की आस पर आधारित है। उन्होंने कहा कि हिंसा का रास्ता अब हमारे लिए सही नहीं रहा भविष्य अब शांतिपूर्ण ढंग से बनाना है।

वीडियो में यह भी खुलासा हुआ कि कुछ वरिष्ठ माओवादी नेताओं पोलित ब्यूरो सदस्य देवजी केंद्रीय समिति सदस्य संग्राम और हिडमा तथा अनुभवी कैडर बरसे देवा व पप्पा राव जैसे सशस्त्र संघर्ष खत्म करने के इस सर्वसम्मत निर्णय की जानकारी निचले स्तर तक साझा नहीं कर पाए। रूपेश के अनुसार कुछ स्वार्थपरक कारणों और व्यक्तिगत हितों के चलते यह दरार बनी रही लेकिन जमीनी स्तर पर बहुमत ने शांति का साथ चुना।

बस्तर रेंज आईजी आईपीएस सुंदरराज पी ने रूपेश और उनके साथियों के इस कदम का स्वागत करते हुए उनकी सराहना की है। बस्तर रेंज के आईजी सुन्दरराज ने कहा कि राज्य की मंशा के अनुरूप बस्तर की जनता का कल्याण और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और जो लोग शांति तथा पुनर्निर्माण की राह चुनते हैं उन्हें पूरा समर्थन मिलेगा।

आईजी ने सुंदरराज़ ने कहा कि पुलिस का स्पष्ट संदेश है कि अब शेष बचे माओवादी कैडरो के पास केवल एक विकल्प शेष है हिंसा और विनाश की राह छोड़कर विकास और शांति को अपनाना। आईपीएस सुंदरराज ने चेतावनी देते हुए कहा कि जो लोग इस विवेकपूर्ण आह्वान की अवहेलना करेंगे उन्हें नियम और कानून के अनुसार नतीजों का सामना करना पड़ेगा।

रूपेश के इस संदेश ने बस्तर में उम्मीद की लौ जलाई है। स्थानीय स्तर पर यह कदम शांति वार्ता और पुनर्वास की दिशा में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है। अब सवाल यह है कि शेष नेतृत्व और निचला स्तर किस तरह इस नए रुख का स्वागत या विरोध करते हैं और प्रशासन किस तरह इन लौटे हुए कैडरो के पुनर्स्थापन और सामाजिक समाकलन को सुनिश्चित करेगा।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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