बिलासपुर। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के पूर्व सीएमडी के खिलाफ अवमानना याचिका निराकृत कर दी है। एसईसीएल के दीपका प्रोजेक्ट के बर्खास्त कर्मचारी ने हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं होने पर अवमानना याचिका लगाई थी, उसे वर्ष 2008 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। एसईसीएल के दीपका प्रोजेक्ट में कार्यरत रहे भारी मशीन चालक बालकृष्ण को वर्ष 2008 में सेवा से बर्खास्त कर दिया था। उसका अभ्यावेदन भी प्रबंधन ने निरस्त कर दिया था। इसे उसने वर्ष 2013 में हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 22 मार्च 2016 को उसकी याचिका स्वीकार करते हुए बर्खास्तगी और आवेदन निरस्त करने के आदेशों को रद्द कर दिया था। साथ ही एसईसीएल को उसे सेवा में बहाल करने, बकाया वेतन व भत्ते देने के निर्देश दिए थे। सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ एसईसीएल ने अपील की, जिसे वर्ष 2016 में ही डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया था।
बहाली न होने पर लगाई थी अवमानना याचिका आदेश के बावजूद बालकृष्ण को बहाल नहीं किया गया। इस पर उसने एसईसीएल के पूर्व सीएमडी को पक्षकार बनाते हुए वर्ष 2018 में अवमानना याचिका लगाई। आरोप लगाया कि एसईसीएल प्रबंधन जानबूझकर हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहा है।
कंपनी की ओर से तर्क दिया गया कि बालकृष्ण भारी मशीन चालक था। मेडिकल रिपोर्ट में उसे इस काम के लिए अयोग्य पाया गया है। यदि उसे फिर से कार्य पर लिया जाता है तो उसके साथ ही सहकर्मियों की जान को खतरा हो सकता है।
मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट: मेडिकल बोर्ड ने 10 अगस्त 2024 को बालकृष्ण की जांच की। रिपोर्ट में कहा गया कि उसे सुनने-एक आंख से देखने में समस्या है, जिसकी वजह से वह नौकरी के लिए अयोग्य पाया गया है।

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