बिलासपुर। 15 अगस्त के दूसरे दिन से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल गठन को लेकर चर्चा छिड़ी। चर्चा के इस दौर में दो सीनियर और तीन पहली बार के विधायकों का नाम मंत्री पद के दावेदारों के रूप में सामने आया। तीन दिनों तक चली सरगर्मी के बीच सबसे चौंकाने वाला नाम अंबिकापुर के विधायक राजेश अग्रवाल और आरंग के विधायक गुरु खुशवंत का रहा। नाम चला और अब मंत्री भी बन गए हैं। मंत्री पद की शपथ के कुछ घंटों बाद ही सीएम ने विभागों का बंटवारा भी कर दिया है। तीन नए मंत्रियों के विभागों से तो यही लगता है कि सीएम विष्णुदेव साय ने गजब की राजनीति चली। सियासत ऐसी कि सब-कुछ सामान्य जैसा।
मंत्री बनने की रेस में शामिल दिग्गज विधायकों को अंबिकापुर के राजेश अग्रवाल व आरंग के गुरु खुशवंत सिंह ने जिस अंदाज में पीछे छोड़ा है,उसके पीछे जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण से इतर सियासी कारण और हालात को बड़ा कारण माना जा रहा है। चर्चा तो ये भी हो रही थी कि राजेश अग्रवाल को बड़े विभागों से नवाजा जाएगा। अंबिकापुर से लेकर उत्तर छत्तीसगढ़ में इस बात की चर्चा आज सुबह तक और उनके मंत्री बनने के एक घंटे बाद तक चलती रही। सीएम ने जब अपने पत्ते खोले तो सब अवाक रह गए। राजेश और गुरु खुशवंत मंत्री तो बन गए हैं, काम कुछ ऐसा चमत्कारिक रूप से कर पाएंगे इसमें सियासत को नजदीक से जानने और समझने वाले संदेह ही जता रहे हैं। महत्वहीन विभाग और अनुभव की कमी। दोनों ही बातें इनके लिए माइनस पाइंट है। सीएम की सियासत और रणनीतिक फैसले को लेकर राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि यह तो होना ही था। इसके पीछे कारणों का खुलासा भी करते हैं। मंत्रिमंडल में शामिल होने की दौड़ से जिस तरह दिग्गज बाहर हुए या फिर उनको किनारे किया गया उसके चलते समर्थकों में गहरा असंतोष देखा जा रहा है। समर्थक गुस्से में नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया में इसकी तीखी प्रतिक्रिया भी देखी जा रही है। कल तो इस्तीफे जैसी बातें भी कहीं-कहीं से सुनाई देने लगी थी। स्वाभाविक बात है, भाजपा काडरबेस पार्टी है, कार्यकर्ताओं को शुरुआत से ही अनुशासन की घुट्टी पिलाई जाती है। अनुशासन की घुट्टी पिलाने वाले भाजपाई रणनीतिकारों ने लक्ष्मण रेखा को लांघते हुए दो ऐसे विधायकों को मंत्री की कुर्सी सौंप दी है, जिनको ना तो आरएसएस का बैक ग्राउंड का पता है और ना ही पार्टी अनुशासन। भाजपा के रणनीतिकारों को यह बात अच्छी तरह पता है, सोशल मीडिया में जिस तरह बीते दो दिनों से इस्तीफा और मंत्रियों को लेकर चर्चा छिड़ी हुई है,इससे पार्टी के रणनीतिकार भी अनजान नहीं है। कार्यकर्ताओं के गुस्से का अंदाजा रणनीतिकारों को भी है। इसी अंदाज का क्लाइमेक्स मंत्रियों को विभाग सौंपने में दिखाई दिया है।
वरिष्ठ नेताओं,उनके समर्थकों और पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं को सीएम ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनके मान और सम्मान का ख्याल रखा जा रहा है। कम महत्व के विभाग देकर सीएम ने पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ विधायकों को अपनी तरफ से पुख्ता संदेश देने की कोशिश की है।

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