इन और आउट का चल रहा खेल
छत्तीसगढ़ में इन दिनों सियासत ज्यादा ही सरगर्म है। इन और आउट का खेल चल रहा है। कोल स्कैम हो या फिर लिकर या महादेव सट्टा एप। अंदर और बाहर का खेल चल रहा है। एक आईएएस, एसएएस के अफसर तीन साल तक सरकारी मेहमान बनने के बाद सलाखों से बाहर आए। बाहर आने के बाद सीधे तड़ीपार की सजा भी मिल गई। उनके साथ ही गए सूर्यकांत को भी एक महीने की अंतरिम जमानत मिल गई है। वे भी सीधे तड़ीपार ही कर दिए गए हैं। जान बची सो लाखों पाय वाली कहावत ही है। सलाखों से निकलने के बाद कहीं भी रहें। वहां से तो ठीक ही रहेगा। साे हंसी खुशी तड़ीपार की सजा झेल लेंगे। अब नजरें घुमाइए,इनके आउट होने से पहले और कौन-कौन इन हो गए हैं। शराब घोटाले में दो नामधारी सलाखों के पीछे पहुंच गए हैं। एक को दो महीने से ज्यादा हो रहा है और एक हाल ही में। तब भी पखवाड़ा भर तो हो ही गया है। केंद्रीय जांच एजेंसियों की डायरी में और काैन-कौन नाम है, ये तो वही जाने। इतना तो समझ में आ ही रहा है कि छत्तीसगढ़ में अभी बहुत दिनों तक यह खेल चलते ही रहेगा।
कोयले के धंधे से शराब तक पहुंच गए, पता नहीं और क्या-क्या गुल खिलाएंगे
पांच साल पीछे चले जाइए। तब छत्तीसगढ़ में न्यायधानी के एक तांत्रिक की तूती बोलती थी। धमक और रसूख ऐसा कि सीएम हाउस तक बिना रोकटोक डायरेक्ट एंट्री। किसी की मजाल नहीं था कि सियासत से इस तांत्रिक को रोक देते या फिर सीएम हाउस की इंट्री नहीं मिलती। पूरे पांच साल अपनी चलाई। और क्या कहेंगे सीएम खुद रायपुर से बिलासपुर की ओर रूख कर लिया करते थे। पूजा पाठ हवन सब इनकी देखरेख में ही हुआ करता था। तब किसी को क्या पता था कि सियासत का यह तांत्रित ठगी भी करता होगा। लाख दो लाख नहीं पूरे 500 करोड़ पर हाथ साफ किया। बात इससे भी अब आगे बढ़ चुकी है। छत्तीसगढ़ के ढाई हजार करोड़ के शराब घोटाले में इन्होंने भी जमकर जाम छलकाए हैं। कमीशनखोरी का काम भी तांत्रिक ने गजब का किया है। तभी तो जेल की हवा खा रहे हैं।अपने साथ अपने चेले को भी ले गए। कहते हैं ना गेहूं के साथ घुन भी नहीं बच पाता। ठीक वैसे ही हालात हो गए हैं इन दिनों।
अजय को गुस्सा क्यों आया
सत्ताधारी दल में इन दिनों एक ही सवाल गूंज रहा है। भाजपा के कद्दावर विधायक व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को गुस्सा क्यों आया। गुस्सा भी ऐसा कि एक मंत्री को ऐसे इग्नोर किया कि उनकी तो बोलती ही बंद हो गई। हंसता चेहरा एकदम से लटक गया। एक की बोलती बंद करने के बाद दूसरे और तीसरे की भी। छत्तीसगढ़ की राजनीति खासकर भाजपा की राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों को तो सौदान सिंह का रसूख और रुतबा पता ही होगा। बोलने की तो दूर,सामने जाने की अच्छे अच्छों की हिम्मत नहीं होती थी। जिस पद पर सौदान हुआ करते थे,उसी पद पर अजय जामवाल काबिज हैं। जैसा रुतबा सौदान का वैसा तो बिलकुल भी नहीं। तभी तो गुस्साए अजय ने उनके गले में ही गमछा डालने की कोशिश की। उनके इंकार करने पर प्रदेश अध्यक्ष का गला जो मिल गया। बस फिर क्या था। गले मे गमछा और टेबल पर मोमेंटम रखकर सीधे निकल लिए। अब तो चर्चा ए आम कि अजय को आखिर गुस्सा क्यों आया।
सोशल मीडिया में मंत्रिमंडल का रोज हो रहा रिफार्म
सोशल मीडिया में इन दिनों साय मंत्रिमंडल के रिसफल को लेकर जोरदार माहौल बना हुआ है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अलग-अलग विधायकों के नाम चल रहे हैं। चौंकाने वाला नाम भी सामने आ रहा है। किसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और बताया कि उत्तर छत्तीसगढ़ को मिलेगी एक कुर्सी। अब उत्तर छत्तीसगढ़ की ओर नजरें दौड़ा रहे हैं। संभावना टटोल रहे हैं। मंत्री बनने की स्थिति में हम तो एडजस्ट हो जाएंगे ना। आप भी संभावना टटाेलिए कि किसके भाग्य में चमत्कारी कुर्सी आएगी। सोशल मीडिया की चर्चा से दूर न्यायधानी को एक कुर्सी तो मिलेगी ही मिलेगी।
अटकलबाजी
अजय चंद्राकर के गुस्से की वजह क्या हो सकती है। मंच पर किसका चेहरा देखकर अजय को गुस्सा आ गया और अपने आप पर काबू नहीं रख पाए।
साय मंत्रिमंडल में दो कुर्सी खाली है। चर्चा तो इस बात की हो रही है,सियासी हालात चाहे जो भी हो, न्यायधानी को एक कुर्सी मिलेगी ही मिलेगी। इस चर्चा के बीच सत्ताधारी दल के किस दिग्गज का बीपी अप डाउन होने लगा है।

प्रधान संपादक