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July 23, 2025 12:11 am

छत्तीसगढ़ की सियासत में आ रहा ट्वीस्ट- ईडी की कार्रवाई, कांग्रेस का हल्ला बोल और भाजपा का मोर्चा संभालना

सत्ताधारी दल भाजपा किसी भी हाल में ईडी के मुद्दे पर कांग्रेस को राजनीति लाभ देने के मूड में नहीं है, काउंटर अटैक के लिए कद्दावर नेताओं को उतारा मैदान में

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में अभी ईडी और हसदेव अरण्य ही सबसे हाट टापिक और टाकिंग पाइंट है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भिलाई स्थित निवास में ईडी की दूसरी कार्रवाई और पुत्र चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के बाद भूपेश बघेल ने जवाबी कार्रवाई की। कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण बताने के साथ ही इसे सीधेतौर पर हसदेव अरण्य की ओर मोड़ दिया। अडानी पर हमलावर रूख अख्तियार करते हुए कहा कि पेड़ कटाई का मुद्दा सदन में उठाने वाले थे। ईडी आ गई। पूर्व सीएम का इशारा साफ है। कांग्रेस अब हमलावर रूख में है।

भाजपाई रणनीतिकार भी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं तभी तो ईडी की कार्रवाई के मुद्दे पर कांग्रेस के लिए मैदान छोड़ने के मूड में नहीं है। भाजपा ने मोर्चा संभाल लिया है। यह तय मानकर चलिए छत्तीसगढ़ की सियासत में ईडी और केंद्रीय जांच एजेंसियों का मुद्दा छाया रहेगा।

केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग और ईडी द्वारा पूर्व सीएम भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के विरोध में कांग्रेस प्रदेश व्यापी आंदोलन कर रही है। दिग्गज नेता से लेकर जमीनी कार्यकर्ता सभी मैदान लड़ाई लड़ रहे हैं। जिनको जो जिम्मेदारी दी गई है उसे वे बखूबी निभाते दिखाई दे रहे हैं। आर्थिक नाकेबंदी और चक्का जाम। कांग्रेस के इस आंदोलन पर सत्ताधारी दल के साथ ही आम लोगों की नजरें भी लगी हुई है। आंदोलन के रुख और नेताओं सहित कार्यकर्ताओं की भीड़ और सहभागिता कांग्रेस के भविष्य की राजनीति तय करेगी। या यह भी कह सकते हैं कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नई लकीर भी खिंचेगी। वैसे भी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सृजन अभियान चला रहे हैं। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लिए यह एक तरह से समुद्र मंथन ही कहा जा सकता है। समुद्र मंथन से कांग्रेस को राजनीतिक रूप से लाभ मिलेगा। आज के आंदोलन से एक और बात खुलकर सामने आएगी, वह है भूपेश समर्थकों की अपनी जोर आजमाइश। मंगलवार को कांग्रेस के आंदोलन के पीछे पूर्व सीएम के पुत्र की ईडी द्वारा गिरफ्तारी ही प्रमुख मुद्दा है। राजनीतिक मुद्दे जो आगे चलकर राजनीतिक गतिरोध भी बन सकता है, जिसकी संभावनाएं पूरी-पूरी नजर आ रही है। भूपेश समर्थकों को दमखम दिखाने और दिल्ली तक संदेश देने का सियासी अवसर भी अच्छा है। इससे अच्छा अवसर भला और कहां मिलेगा। गुटीय राजनीति में प्रभाव और दबाव ना दिखे तो इसका असर भी ज्यादा दिनों तक नहीं रहता। बहरहाल प्रभाव दिखाने और दबाव बनाने दोनों का ही समान अवसर समर्थकों के पास है। आर्थिक नाकेबंदी और चक्काजाम के दौरान यह सब दिखाई भी दे रहा है।

बात अब सत्ताधारी भाजपा की भी। भाजपाई रणनीतिकारों को पहले दिन से ही पता था कि ईडी की कार्रवाई और पूर्व सीएम पुत्र की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस क्या करेगी। भाजपाई रणनीतिकार कांग्रेस को दबाव बनाने और मुद्दे को कैश कराने के लिए मैदान छोड़ने के मूड में कतई नहीं दिख रहे हैं।

तभी तो राजधानी रायपुर में कद्दावर आदिवासी नेता व संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप ने मोर्चा संभाला और पूर्व सीएम पुत्र की शराब घोटाले में संलिप्तता को सामने रखते हुए जमकर हमला बोला। भाजपाई रणनीतिकारों ने राजनीतिक रूप से यहीं विश्राम नहीं लिया। केदार कश्यप की राजधानी में पीसी के दूसरे दिन न्यायधानी बिलासपुर में पूर्व आबकारी मंत्री व कद्दावर नेता व विधायक अमर अग्रवाल की पीसी हुई।अमर ने सीधेतौर पर पूर्व सीएम पर हमला बोला। शराब घोटाले को लेकर अमर ने बड़ा दावा भी किया। अमर ने कहा कि यह पांच हजार करोड़ से ज्यादा का स्कैम है। बहरहाल ईडी की कार्रवाई और शराब घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ की राजनीति में कुछ इसी अंदाज में अभी शहऔर मात का खेल चलते रहेगा।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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