सरकार ने भी माना- मौजूदा अधिनियम में सख्ती की कमी, जल्द होगा संशोधन, हाई कोर्ट ने कहा, जनता की सेहत और शांति सर्वोपरि, सरकार बनाए प्रभावी कानून
बिलासपुर। डीजे, साउंड बाक्स और लेजर लाइट से होने वाले शोर और प्रदूषण को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह कोलाहल नियंत्रण अधिनियम को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक संशोधन करे और जनता की सेहत को प्राथमिकता देते हुए सख्त नियम बनाए।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से स्वीकार किया गया कि वर्तमान कोलाहल नियंत्रण अधिनियम में सख्त प्रावधानों की कमी है। अभी सिर्फ 500 से 1000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है, जिससे शोर प्रदूषण फैलाने वालों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। सरकार ने बताया कि अधिनियम में डीजे उपकरणों की जब्ती या बार-बार उल्लंघन करने वालों पर ठोस नियंत्रण के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार ने हाई कोर्ट को आश्वस्त किया कि इस संबंध में आवश्यक प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी और अधिनियम में आवश्यक संशोधन के लिए प्रस्ताव विधानसभा में लाया जाएगा। हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई 18 अगस्त को निर्धारित की है। उस दिन सरकार को अपनी प्रगति रिपोर्ट, प्रस्तावित संशोधन और कार्रवाई की विस्तृत जानकारी कोर्ट के समक्ष पेश करनी होगी।
कोर्ट ने जताई चिंता, मरीजों और आम लोगों पर खतरा-
पिछली सुनवाई में भी हाई कोर्ट ने अत्यधिक शोर, डीजे, लेजर और बीम लाइट के दुष्प्रभावों को लेकर गहरी चिंता जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि डीजे से उत्पन्न तेज ध्वनि हृदय रोगियों के लिए घातक हो सकती है और लेजर लाइट्स आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। कोर्ट ने सरकार से स्पष्ट कहा कि ऐसे उपकरणों पर नियंत्रण के लिए तत्काल ठोस कदम उठाए जाएं।
सरकार की ओर से बताया गया कि डीजे, वाहनों में लगे तेज साउंड सिस्टम और लेजर लाइट के उपयोग पर पहले से ही प्रतिबंध है। उल्लंघन की स्थिति में जुर्माना और बार-बार नियम तोड़ने पर वाहन जब्ती की कार्रवाई की जा रही है।
हाई कोर्ट ने सुनवाई के अंत में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह शोर और लेजर लाइट से होने वाली जनहानि को रोकने के लिए प्रभावी और कड़े नियम बनाए। कोर्ट ने दो टूक कहा कि जनता की सेहत और मानसिक शांति सर्वोपरि है, जिसे किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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