बिलासपुर।शिक्षा विभाग की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में की गई मनमानी के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंची शिक्षिका फाल्गुनी यादव को न्याय मिल गया है। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के पाली ब्लाक स्थित शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला रतिजा में पदस्थ शिक्षिका फाल्गुनी यादव ने शिक्षा अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए डीईओ को जारी स्थानांतरण आदेश पर रोक लगाई और जिला स्तरीय समिति के समक्ष शिक्षिका को सुनवाई का अवसर देने के निर्देश दिए।
फाल्गुनी यादव ने हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया कि बीईओ ने युक्तियुक्तकरण में जानबूझकर उन्हें अतिशेष घोषित कर दिया, जबकि उनसे पांच वर्ष जूनियर शिक्षिका महिमा प्रतिभा तिर्की को सूची से हटा दिया गया। हैरानी की बात यह है कि उन्हें उस विषय में अतिशेष घोषित किया गया, जिसे वे पढ़ाती ही नहीं। कला विषय की शिक्षिका फाल्गुनी को हिंदी विषय के नाम पर सूची में डाल दिया गया।
शिक्षिका ने यह भी आरोप लगाया कि काउंसलिंग के दौरान अधिकारियों ने जानबूझकर दूरस्थ और शिक्षकविहीन स्कूलों को ही सूची में रखा। जबकि आसपास के स्कूलों में रिक्त पद होने के बावजूद उन्हें छिपा लिया गया। इससे साफ है कि बाद में पास के स्कूलों में पसंदीदा पदस्थापना की योजना बनाई गई थी।
फाल्गुनी यादव ने कलेक्टर को सौंपे गए अभ्यावेदन में लिखा कि काउंसलिंग के दौरान उन पर दबाव बनाकर शा.पू.मा.शाला मदनपुर (विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा) को चुनने के लिए मजबूर किया गया। पारिवारिक कारणों, विशेष रूप से बुजुर्ग सास की देखभाल के चलते दूरस्थ क्षेत्र में जाना उनके लिए कठिन था।
हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद 19 जून को शिक्षिका को जिला स्तरीय युक्तियुक्तकरण समिति के समक्ष उपस्थित होकर पक्ष रखने का निर्देश दिया। समिति ने प्रस्तुत अभ्यावेदन और दस्तावेजों की समीक्षा के बाद पाया कि फाल्गुनी यादव वर्ष 2013 से कार्यरत हैं, जबकि महिमा तिर्की 2017 में नियुक्त हुई हैं। वरिष्ठता के आधार पर फाल्गुनी को अतिशेष घोषित करना गलत था। इसके बाद कलेक्टर के आदेश पर डीईओ द्वारा जारी पदस्थापना आदेश को निरस्त कर दिया गया और महिमा तिर्की को अतिशेष मानते हुए युक्तियुक्तकरण की कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए।

प्रधान संपादक