बिलासपुर। राज्य स्त्रोत नि:शक्त जन संस्थान अस्पताल रायपुर के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले पर दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता, आरोपी अधिकारियों के साथ ही सीबीआई की ओर से अपनी बहस पूरी कर ली गई है। हाई कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया है।
मामले में तत्कालीन चीफ सेक्रेट्री की रिपोर्ट के बाद डिवीजन बेंच ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए घोटाले की सीबीआई जांच कराने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई जबलपुर ने अज्ञात के खिलाफ अपराध दर्ज मामले की जांच भी शुरू कर दी थी। इसी बीच घोटाले के आरोप में फंसे आईएएस व राज्य सेवा संवंर्ग के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर सीबीआइ जांच पर रोक की मांग की थी। प्रकरण की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक लगाते हुए सुनवाई के लिए याचिका छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को वापस भेज दिया था।
रायपुर के कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने छत्तीसगढ़ के वर्तमान और रिटायर्ड आईएएस अफसरों की तरफ से एनजीओ के नाम पर करोड़ों का घोटाला करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की है। याचिका में बताया गया था कि खुद याचिकाकर्ता को एक शासकीय अस्पताल राज्य स्त्रोत निशक्त जन संस्थान में कार्यरत बताते हुए उसे वेतन देने की जानकारी पहले मिली। इसके बाद उन्होंने आरटीआई के तहत मालूम पड़ा कि नया रायपुर स्थित इस कथित अस्पताल को एक एनजीओ चला रहा है, जिसमें करोड़ों की मशीनें खरीदी गई है। इनके रख रखाव में भी करोड़ों का खर्च आना बताया गया।



