बिलासपुर। प्रदेश में सड़क हादसों की बढ़ती संख्या पर हाई कोर्ट सख्त हो गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार, सड़क परिवहन विभाग, एनटीपीसी और एसईसीएल को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा है कि राज्य में ब्लैक स्पाट क्यों नहीं सुधारे जा रहे, जबकि हादसे हर साल बढ़ते जा रहे हैं। 2023 की तुलना में 2024 में हादसों में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। खासकर कोयला परिवहन वाले क्षेत्रों जैसे सूरजपुर, कोरबा, रायगढ़ और सरगुजा में दुर्घटनाएं अधिक हो रही हैं। कोर्ट ने कहा कि बार-बार निर्देशों के बावजूद इन हादसों पर रोक के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।
हाई कोर्ट के सामने पेश की गई रिपोर्ट में सड़क दुर्घटनाओं को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जिन क्षेत्रों को ब्लैक स्पाट यानी दुर्घटना-प्रवण क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया था, उनमें से 9.50 प्रतिशत अब तक सुधारे ही नहीं गए। कोर्ट कमिश्नर रविंद्र शर्मा ने बताया कि रायपुर, दुर्ग, जांजगीर, सक्ती और मुंगेली जैसे जिलों में चिन्हित ब्लैक स्पाट आज भी वैसे ही हैं, जिन पर कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है।
कोरबा और सूरजपुर जैसे कोल-बेयरिंग जिलों में हालात और भी खतरनाक हैं। कोरबा में सड़क दुर्घटनाएं 25.44 प्रतिशत बढ़ीं सूरजपुर में यह आंकड़ा 42.25 प्रतिशत तक पहुंच गया है। कोर्ट में पेश आंकड़ों के अनुसार, इन क्षेत्रों में घायलों की संख्या में भी 7.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कोल एरिया में अनियंत्रित डंपर संचालन हादसों की मुख्य वजह है। कोरबा और सूरजपुर जैसे जिलों में भारी डंपरों की आवाजाही स्कूल, बाजार और रिहायशी इलाकों के बीच हो रही है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा और बढ़ गया है। कोर्ट ने सरकार और विभागों से पूछा कि, आखिर ब्लैक स्पाट्स को सुधारने में देरी क्यों हो रही है, जब हादसे लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
एनएचएआइ ने बताया कि कोयला और फ्लाई ऐश परिवहन से धूल सड़कों पर फैलती है, जो दुर्घटनाओं का कारण बनती है। उन्होंने कोरबा-रायपुर और सूरजपुर-अंबिकापुर सड़कों पर ओपन कंटेनरों के बजाय बंद कंटेनरों का उपयोग करने का सुझाव दिया।
एनटीपीसी सीपत और दक्षिण पूर्वी कोयला क्षेत्र लिमिटेड (एसईसीएल) बिलासपुर ने कोयला और फ्लाई ऐश परिवहन में सावधानियों की कमी का हलफनामा दायर किया। कोर्ट ने रोड ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी, एनटीपीसी और को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया, जिसमें ब्लैक स्पाट्स और एनएचएस 2021, 2022, और 2023 के लिए उठाए गए कदमों का उल्लेख हो।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच ने सड़क परिवहन सचिव, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ), एनटीपीसी और एसईसीएल के अधिकारियों को तलब कर पूछा कि, सड़क किनारे ब्लैक स्पाट्स की पहचान के बाद उन्हें सुधारा क्यों नहीं गया। एनएच-43, एनएच-130 और एनएच-49 जैसे व्यस्त रूटों पर कोयला परिवहन का दबाव अधिक क्यों है। सूरजपुर और बलरामपुर जैसे जिलों में फ्लाईओवर और ओवरब्रिज अधूरे क्यों पड़े हैं। कोयला परिवहन मार्गों पर भारी वाहन कैसे बेतरतीब चल रहे हैं।



