दुर्ग। आईजी रामगोपाल गर्ग की अध्यक्षता में गुरुवार को रेंज स्तरीय दोषमुक्ति प्रकरणों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई। यह बैठक दुर्ग स्थित पुलिस कार्यालय के सभागार में आयोजित की गई, जिसमें दुर्ग, बालोद और बेमेतरा जिलों के अभियोजन व पुलिस अधिकारी शामिल हुए। बैठक में 250 से अधिक मामलों की तीन घंटे तक समीक्षा की गई।
बैठक के दौरान न्यायालय से दोषमुक्त किए गए प्रकरणों का विश्लेषण कर विवेचना की गुणवत्ता में सुधार लाना और दोषसिद्धि की दर बढ़ाने पर चर्चा की गई। विशेष रूप से महिला संबंधी अपराध, पॉक्सो एक्ट, हत्या, हत्या के प्रयास, एनडीपीएस एक्ट एवं चिटफंड से जुड़े प्रकरणों की समीक्षा की गई। आईजी गर्ग ने भौतिक साक्ष्यों के वैज्ञानिक संकलन पर बल देते हुए कहा कि विवेचक फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, फिंगरप्रिंट, सीसीटीवी फुटेज जैसे साक्ष्यों को सुनियोजित ढंग से एकत्र करें एवं उनसे संबंधित आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त करें। महिला व बच्चों से जुड़े गंभीर मामलों में 60 दिवस के भीतर चालान प्रस्तुत करने की अनिवार्यता की विवेचकों को याद दिलाई गई। साथ ही, यदि पीड़िता या गवाह ट्रायल के दौरान अपने पूर्व बयान से मुकरते हैं, तो उनके विरुद्ध बीएनएसएस की धारा के अंतर्गत आवश्यक कार्रवाई हेतु अभियोजन अधिकारियों को न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इस दौरान झूठी शिकायत दर्ज कराने या निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने वालों के विरुद्ध भी सख्त रुख अपनाते हुए उनके खिलाफ न्यायालय में प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए। इस बैठक में संयुक्त संचालक अभियोजन एसएस ध्रुव, उप संचालक सुनील चौरसिया, प्रेमेंद्र बैसवाड़े, कंचन पाटिल, एएसपी पद्मश्री तंवर, ज्योति सिंह, मोनिका ठाकुर, डीएसपी शिल्पा साहू, एसआई राजकुमार प्रधान, डाटा एंट्री ऑपरेटर तेजस्वी गौतम एवं पुलिस पीआरओ प्रशांत शुक्ला उपस्थित रहे।

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