छत्तीसगढ़ ।बिलासपुर के सी एम डी महाविद्यालय परिसर के आडिटोरियम में वन नेशन वन इलेक्शन पर संगोष्ठी रखी गई परिचर्चा में कॉलेज के छात्र छात्राएं, प्राध्यापक सहित अनेक क्षेत्रों में विशिष्ट कार्य कर रहे बुद्धिजीवी वर्ग के लोग शामिल हुए जिन्होंने इस परिचर्चा में भाग लेकर अपनी जिज्ञासा शांत की

गोष्ठी के मुख्य वक्ता छत्तीसगढ़ विधानसभा में पूर्व स्पीकर रहे प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने वर्तमान समय में में वन नेशन वन इलेक्शन की अपरिहार्यता पर अपने पक्ष रखा उन्होंने बताया कि आज के परिपेक्ष्य में यह विषय चर्चा के योग्य है और समय के साथ जनमत संग्रह के माध्यम से हमें इस दिशा में आगे बढ़ने पर विचार करना चाहिए
आज राजनैतिक दल आइडियोलॉजी या अपने विजन को जनता के सामने रखने के बजाए वोट बैंक को कैसे संजोए रखा जाए इसकी चिन्ता में लगी रहती है और इस सिस्टम में उलझा हुआ देश का नागरिक केवल वोट बैंक बन कर रह गया है सतत चलने वाली चुनावी व्यवस्था में नागरिक अपनी अभिव्यक्ति और विमर्श की क्षमता से परे चला गया है शासन प्रशासन के साथ ही साथ वह भी चुनावी तंत्र का हिस्सा बन गया है अलग अलग समय में होने वाले ये चुनाव देश पर अतिरिक्त आर्थिक भार डालते हैं वहीं सरकार के मूलभूत संसाधनों की भी लम्बे समय तक संलग्न रखते हैं।

बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल ने कहा कि हमारे देश में चुनाव लगातार पांच वर्षों तक चलने वाली व्यवस्था के रूप परिणित हो गई है चुनी हुई सरकार का एक लम्बा कालखंड चुनाव में चला जाता है पांच साल के कार्यकाल में बामुश्किल किसी भी सरकार के हिस्से में विकास के लिए महज तीन वर्ष का समय ही हाथ आता है ऐसे में आधारभूत संरचनाओं के विकास में जो समय और शक्ति लगनी चाहिए उसका आभाव हो जाता है ।

राज्य और केंद्र सरकार के कुल चुनावी खर्च की गणना करे तो वर्तमान समय में लगभग साढ़े चार लाख करोड़ रुपए का बजट रहा है वन नेशन वन इलेक्शन के माध्यम से इस खर्च में काफी हद तक कटौती की जा सकती है ।

संगोष्ठी में मौजूद श्रोताओं ने विषय से संबंधित अनेक प्रश्न किए, जिनका मंच पर उपस्थित वक्ताओं ने संतोषजनक उत्तर दिया। कार्यक्रम के दौरान बिलासपुर महापौर श्रीमती पूजा विधानी, भाजपा जिलाध्यक्ष श्री दीपक सिंह, मोहित जायसवाल, किशोर राय, गुलशन ऋषि, सीएमडी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय सिंह, एस.पी. चतुर्वेदी समेत अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

बिलासपुर में आयोजित इस विचारगोष्ठी के माध्यम से न केवल छात्रों और आम नागरिकों को इस विषय पर गंभीरता से सोचने का अवसर मिला, बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक सार्थक संवाद भी प्रारंभ हुआ।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन