छत्तीसगढ़ बिलासपुर। एसईसीएल ने प्रोग्रेसिव माइनिंग प्रोडक्ट्स को तीन साल पहले मापदंडों और शर्तों को पूरा ना करने के चलते ब्लैक लिस्टड कर दिया था। एसईसीएल के निर्णय को कंपनी के संचालक ने चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने एसईसीएल के आदेश को रद्द करते हुए कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने के निर्णय को गलत ठहराया है।
वित्तीय वर्ष 2015 में फर्म प्रोग्रेसिव माइनिंग प्रोडक्ट्स बिलासपुर ने एक अधिकृत विक्रेता के रूप में निविदा में भाग लिया था। आवश्यकतानुसार फर्म ने समय पर एक स्थानीय विक्रेता के माध्यम से सप्लाई की। जिसकी जांच के बाद एसईसीएल ने भुगतान एवं सुरक्षा निधि की राशि भी लौटा दी थी। छह माह बाद यह आरोप लगाया गया कि फर्म ने निर्धारित मटेरियल की बजाय किसी अन्य कंपनी का माल सप्लाई किया है। इसके आधार पर एसईसीएल ने फर्म को तीन वर्षों के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया। इसके अलावा एक करोड़ रुपए की दूसरी निविदा में भी फर्म को केवल इस आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया कि उस पर विभागीय जांच लंबित है।

मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि जब फर्म द्वारा आपूर्ति के समय निरीक्षण किया गया, मटेरियल का उपयोग भी हुआ और भुगतान कर दिया गया, तो छह महीने बाद बदले की भावना से की गई यह कार्रवाई न्यायसंगत नहीं मानी जा सकती। कोर्ट ने यह भी माना कि जब फर्म ने विभागीय अनियमितताओं की शिकायत विजिलेंस को भेजी, तभी से अधिकारियों ने विद्वेष के आधार पर कार्रवाई शुरू कर दी। डिवीजन बेंच ने एसईसीएल के निर्णय को गलत ठहराते हुए कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने के आदेश को रद्द कर दिया है।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन