रायपुर, छत्तीसगढ़ शासन के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा आगामी 22 और 23 अप्रैल को नवा रायपुर स्थित दंडकारण्य ऑडिटोरियम, अरण्य भवन में दो दिवसीय सागरिया मेमोरियल राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस संगोष्ठी का उद्देश्य वनों के संरक्षण, संवर्धन और सतत प्रबंधन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर व्यापक विचार-विमर्श करना है।

संगोष्ठी के संयोजक श्री अरुण कुमार पाण्डेय, आईएफएस, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास/योजना) एवं नोडल अधिकारी, छत्तीसगढ़ राज्य जलवायु परिवर्तन केंद्र ने जानकारी दी कि इस आयोजन में कुल आठ तकनीकी सत्र होंगे। इन सत्रों में सिल्वीकल्चर से संबंधित प्राकृतिक पुनरुत्पादन, इको-रिस्टोरेशन, वृक्षारोपण, उत्पादन प्रणाली, वनों की उत्पादकता में वृद्धि, बांस वनों का प्रबंधन और खरपतवार नियंत्रण जैसे विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा विचार साझा किए जाएंगे।

संगोष्ठी मैं दो दिनों मैं कुल 8 तकनीकी सत्रों आयोजन किया जायेगा, जिनमें सिल्वीकल्चर से सम्बंधित विभिन्न पक्षों यथा प्राकृतिक पुनरुत्पादन, प्राकृतिक वनों का निर्माण, इकोरिस्टोरेशन, उत्पादन प्रणाली, वृक्षारोपण, वनों की उत्पादकता में वृद्धि, वनों मैं खरपतवार नियंत्रण, बांस वनों का प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों परविचार मंथन किया जावेगा |
इस संगोष्ठी में देश के आठ राज्यों आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, मिजोरम, महाराष्ट्र और त्रिपुरा—से आए वन अधिकारियों की सहभागिता भी सुनिश्चित की गई है। इसके साथ ही राज्य के समस्त भारतीय वन सेवा के अधिकारी भी संगोष्ठी में शामिल होंगे।

उल्लेखनीय है कि प्रो. के. पी. सागरिया अविभाजित मध्य प्रदेश केडर केभारतीय वन सेवा के अधिकारी थे | उनके द्वारा 1961 से 1964 के दौरानभारतीय वन अनुसन्धान संस्थान देहरादून के निदेशक के रूप मैं भी सेवाप्रदान की गयी | प्रो. सागरिया द्वारा अपने सम्पूर्ण कार्यकाल मैं भारतीय वनोके प्रबंधन को लेकर बहुत ही उल्लेखनीय कार्य किये गए हैं | प्रो. सागरियाको देश में वन वर्धन प्रणाली में नए प्रयोगों के लिए जाना जाता है जिन्हें आज भी कापिस विथ स्टैंडर्ड्स एवं कापिस विथ रिज़र्व के नाम से वानिकी विद्यालयों एवं राष्ट्रीय वन अकादमी देहरादून में पढ़ाया जाता है |इनके द्वारालिखित पुस्तक फॉरेस्ट एंड फॉरेस्ट्री को वनों के प्रबंधन पर लिखी गयीं विश्वकी श्रेष्ठत्तम पुस्तकों मैं से एक माना जाता है भारतीय, विशेष कर मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के वनों प्रबंधन मैं प्रो. सागरिया के उल्लेखनीय योगदानकी स्मृति मैं उक्त दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है |

प्रधान संपादक