बिलासपुर: सड़कों पर अतिक्रमण और मवेशियों के कारण हो रही दुर्घटनाओं को लेकर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है। नाराज डिवीजन बेंच ने राज्य शासन से कहा कि सड़क सुरक्षा के मानकों के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। राज्य शासन को ठोस कार्ययोजना के साथ जवाब देना होगा।




नेशनल और स्टेट हाईवे समेत अन्य सड़कों को मवेशियों और अतिक्रमण से मुक्त करने को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका की सुनवाई में राज्य शासन ने डिवीजन बेंच को बताया कि अतिक्रमण हटाने का कार्य तेजी से हो रहा है। सड़क सुरक्षा के लिए एक गाइडलाइन तैयार की जा रही है, जिसका सख्ती से पालन कराया जाएगा।




चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस अरविन्द वर्मा की डिवीजन बेंच में याचिका की सुनवाई हुई। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता वायएस ठाकुर ने कहा कि सड़कों पर मवेशियों की उपस्थिति को नियंत्रित करने और सड़क सुरक्षा को लेकर बनाई जा रही एसओपी (स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसीजर) का ड्राफ्ट अंतिम चरण में है। याचिकाकर्ता राजेश चिकारा, एडवोकेट पलाश तिवारी व संजय रजक ने एडवोकेट सुनील ओटवानी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस गंभीर मुद्दे को उठाया है।

पूर्व में पीआईएल की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने प्रदेश भर के नगर निगमों के अफसरों से मवेशियों की वास्तविक संख्या और सड़कों से हटाने की कार्ययोजना की जानकारी मांगी थी। मवेशियों को हटाने के लिए चरवाहों की व्यवस्था की जाए और जिन पशुओं के मालिकों की पहचान हो, उन पर आर्थिक दंड लगाने का निर्देश कोर्ट ने दिया था।

प्रधान संपादक