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April 19, 2025 8:08 am

कानाफूसी

वेटिंग इन मिनिस्टर, वेलकम के लिए हो जाइए तैयार

नववर्ष की तैयारी जोर शोर से शुरू हो गई है। राजधानी से लेकर न्यायधानी और उर्जाधानी से लेकर संस्कारधानी। चारो ओर तैयारी की धूम मची हुई है। आयोजक दिन रात एक किए हुए हैं। नववर्ष में इस बार कुछ खास होने वाला है। छत्तीसगढ़ की सियासत में इसी अंदाज में हलचल भी देखी जा रही है। सत्ता के गलियारों से लेकर सत्ता को संचालित करने वालों के बीच चर्चा का बाजार सरगर्म है। चर्चा का खास कारण भी है। वेटिंग इन मिनिस्टर को लेकर अटकलबाजी के बीच काडर के दिग्गज अपने अनुभवों को भी झोंक रहे हैं कि दिल्ली में किन महानुभावों की केमेस्ट्री फिट बैठ रही है। काडर और सत्ता के करीबियों की कानाफूसी पर गौर करें तो सीएस साय की मिनिस्ट्री में अमर अग्रवाल और गजेंद्र यादव की इंट्री तय मानी जा रही है। सत्ता के गलियारों में अमर का नाम चलते ही कइयों का बीपी भी बढ़ जा रहा है। शुगर अनकंट्रोल। कारण आप भी जानते हैं और जिनका बीपी शुगर अनकंट्रोल हो रहा है वे तो और भी अच्छी तरह। वैसे भी आईएएस आईपीएस काडर की पहली पसंद अमर ही हैं। कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि लाबी ही क्यों सीएम के भी पसंद माने जा रहे हैं। आगे-आगे देखते हैं हाेता है क्या। नववर्ष किन-किन महानुभावाओ के लिए क्या-क्या संदेश लेकर आता है।

राजनीतिक शिष्टाचार या और कुछ

वर्षों पुरानी कहावत है, आग लगने पहले धुआं तो उठता ही है। वैज्ञानिक तथ्य भी हैं और ठोस कारण भी। चलिए इन कारणों और तथ्यों को उनके बीच ही छोड़ते हैं। हम आपको लिए चलते हैं जिला पंचायत चुनावी मैदान में। अब आप यह सोच रहे होंगे कि दोबारा जिला पंचायत का मैदान सज रहा है। फिर एक सवाल कौंधेगा, रणबांकुरे कौन-कौन हैं। ना चुनावी रण का मैदान सज रहा है और ना ही नए रणबांकुरे ही आपको नजर आएंगे। वही जंगबाज जो मैदान की पालिटिक्स में दो चार कर सीधे जिला पंचायत पहुंच गए हैं और अब गांव की राजनीति चमकाएंगे। फ्लैशबैक….। इसकी चर्चा हो रही है तो इसे ही आगे बढ़ाते हैं। कांग्रेस की ओर चलते हैं। नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद बिलासपुर जिले की कांग्रेसी राजनीति में जो कुछ हो रहा है वह कभी नहीं हुआ। आज यह भी सोच रहे होंगे कि क्या इस परिपाटी को आने वाले दिनों में कुर्सी संभालने वाले लोग आगे बढ़ाएंगे। जवाब भी आप ही देंगे। जी नहीं। चलिए सवाल और उठने वाले जवाब को उसके हाल पर छोड़ देते हैं। जरा और आगे बढ़ते हैं। पूर्व स्पीकर का आलीशान बंगला, समर्थकों की भीड़ और भीड़ के बीच सपत्नीक पंडित जी। पंडित जी ने राजनीतिक शिष्टाचार निभाते हुए नेताजी के बंगले पहुंचे और मुलाकात की। स्वाभाविक है फोटो सेशन भी हुआ। सोशल मीडिया में फोटो वायरल भी हो गया। बस फिर क्या था। मौका देखने वालों ने इसे भी जमकर भुना लिया। राजनीतिक शिष्टाचार को कुछ लोगों ने पता नहीं क्या-क्या नाम दे दिया। शिष्टाचार सीधे-सीधे जोड़-तोड़ की सियासत तक जा पहुंची। दाद देनी होगी इस एंगिल से सोचने वालों की। नई लाइन देने वाले घर के भेदी ही हैं जो लंका ढहाने की तैयारी कर ही लिए हैं।

क्यों हो रही दिल्ली की नजरें तीरछी
पांच साल बाद छत्तीसगढ़ में सीबीआई की इंट्री तब हुई जब सीजीपीएससी फर्जीवाड़े की जांच के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सीबीआई को फाइल सौंपने का निर्णय लिया। सीबीआई के दफ्तर में छत्तीसगढ़ में हुए गड़बड़ घोटालों की फाइल की साइज बढ़ते ही जा रही है। कोल लेव्ही घोटाले के बाद महादेव सट्टा एप की जांच का जिम्मा भी सीबीआई को सरकार ने सौंप दिया है। दो दिन पहले क्या गजब हुआ। सीबीआई की छत्तीसगढ़ में दमदार इंट्री हुई। दिल्ली से सीधे रायपुर और दिल्ली से बिलासपुर के रास्ते राजधानी रायपुर। किसी को कानो-कान भनक तक नहीं लगी। राजनेताओं से लेकर आईपीएस निशाने पर आए। दो दिनों तक छापेमारी चलती रही। सीबीआई अपना काम कर लौट गई है। सीबीआई के लौटते ही राजनीति शुरु हो गई। पूर्व सीएम ने प्रेस कांफ्रेंस कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। सीधे पीएम और एचएम पर। जानने और समझने वाले सब जान और समझ रहे हैं। आईपीएस अफसरों के बंगले में दबिश का मतलब भी निकाला जा रहा है। सत्ता के गलियारे से लेकर राजनीति में रुचि रखने वालों को एक ही सवाल का जवाब नहीं मिल रहा है। दिल्ली आखिर नाराज क्यों है। क्यों दिल्ली की नजरें तीरछी हुई है। दूसरा सवाल सबको परेशान कर रहा है या फिर परेशान करने वाला है। दिल्ली की नाराजगी का ठिकरा किन- किन पर फूटेगा।

सीनियर आईपीएस की देनी होगी दाद

सफेमा कोर्ट का फैसला…… ऐसा कुछ मीडिया रिपोर्ट बनाते समय पखवाड़े भर पहले लिखने का मौका आया था। अखबारनवीस से लेकर पाठक को भी तब इस तरह के कोर्ट की जानकारी शायद ही रही होगी। तब सवाल भी आया था कि सफेमा कोर्ट में होता क्या है, किस तरह के मामलों की सुनवाई होती है। नशे के सौदागरों की करतूतों की सुनवाई और कड़े फैसले इसी कोर्ट के जरिए सुनाए जाते हैं। फैसले भी ऐसे कि भावी पीढ़ी इनके चंगुल में फंसकर बर्बाद ना हो जाए। भावी पीढ़ी की बेहतरी की चिंता और सौदागरों के खिलाफ कड़े फैसले। बिलासपुर जिले के एसएसपी रजनेश सिंह की दाद देनी होगी, नशे के सौदागरों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई इसके पहले बिलासपुर की तो छोड़िए छत्तीसगढ़ में कभी नहीं हुई होगी। नशे के सौदागगारों को दबोचा और मामला सीधे सफेमा कोर्ट ले गए। नशे के सामान बेचकर बनाई गई संपत्ति को सरकार के हवाले कराने का बड़ा काम भी उन्होंने किया। भावी पीढ़ी की बेहतरी के लिए एसपी ने जो किया वाकई बड़ी बात है और शाबासी देने लायक भी। एसएसपी की इस कार्रवाई से सफेमा कोर्ट का रास्ता जो खुल गया है।

अटकलबाजी ऐसी भी

0.30 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिल्हा के मोहभट्ठा में आमसभा को संबोधित करेंगे। बिल्हा में पीएम की सभा के बाद प्रदेश की राजनीति में किस नेता का कद बढ़ेगा। सत्ताधारी दल की राजनीति किस करवट बदलेगी।
0.विपक्षी दल कांग्रेस के दोनों क्षत्रपों को विश्राम देने की तैयारी है। कौन-कौन दावेदार दौड़ में शामिल हैं। भैया की चलेगी या फिर नेताजी का आशीर्वाद जरुरी होगा।

Ravi Shukla
Author: Ravi Shukla

Editor in chief

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