बिलासपुर, 20 मार्च 2025 – दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत बिलासपुर डिवीजन में रेल यात्रियों की सुविधा को नजरअंदाज कर आरक्षित टिकट काउंटरों की संख्या घटा दी गई है। कोरबा, रायगढ़, शहडोल सहित कई अन्य स्टेशनों पर पहले से संचालित काउंटरों की संख्या बढ़ाने के बजाय, विभाग ने फरमान जारी कर कुछ काउंटरों को बंद कर दिया है।
हाल ही में लागू किए गए इस आदेश के तहत, केवल एक कैश काउंटर उपलब्ध रहेगा, जबकि अन्य काउंटरों पर केवल ऑनलाइन पेमेंट की ही सुविधा होगी। इतना ही नहीं, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष आरक्षित काउंटर भी हटा दिए गए हैं, जिससे उनके लिए टिकट लेना और भी मुश्किल हो गया है।
बिना चर्चा लागू हुआ निर्णय, यात्रियों को भारी असुविधा

बिलासपुर अंचल में यह आदेश 15 मार्च से प्रभावी कर दिया गया है और अन्य स्टेशनों पर भी यही स्थिति बनी हुई है। रेल विभाग में जीएम, डीआरएम, डीआरयूसीसी और जेडआरयूसीसी के सदस्य, सांसद व अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि नियुक्त हैं। परंतु इस प्रकार की व्यवस्था लागू करने से पहले क्या कोई बैठक हुई या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि रेलवे विभाग मनमानी कर रहा है और यात्रियों की सुविधाओं की अनदेखी कर रहा है।

ऑनलाइन पेमेंट की अनिवार्यता के कारण उन यात्रियों को भारी परेशानी हो रही है, जो डिजिटल भुगतान नहीं कर सकते। खासकर वृद्धजनों और दिव्यांगों के लिए यह नई व्यवस्था किसी मुसीबत से कम नहीं।

रेलवे प्रशासन के अनुसार, स्टेशन के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण कार्य के चलते कुछ काउंटरों को स्थानांतरित किया गया है, लेकिन यात्रियों का कहना है कि इन कार्यों के नाम पर बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी की जा रही है।
जनरल टिकट के लिए भी असुविधा, मशीनों पर निर्भरता बढ़ी
जनरल टिकट के लिए भी अब काउंटरों के बजाय ऑटोमेटिक टिकट वेंडिंग मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। लेकिन हर यात्री मशीन से टिकट नहीं निकाल सकता, खासकर जब ट्रेन के समय में कमी हो। ऐसे में यात्रियों के पास या तो ट्रेन छोड़ने या बिना टिकट यात्रा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता, जिससे पेनल्टी का खतरा बढ़ जाता है।
बिलासपुर शहर के आरक्षित टिकट काउंटर भी बंद
बिलासपुर शहर के नेहरू चौक स्थित आरक्षित टिकट काउंटर को भी बंद कर दिया गया है। रेलवे प्रशासन का कहना है कि बिल्डिंग अनुपयुक्त होने के कारण यह निर्णय लिया गया, लेकिन अब तक किसी वैकल्पिक स्थान की व्यवस्था नहीं की गई है। रेलवे चाहे तो जिला प्रशासन से समन्वय कर किसी अन्य स्थान पर काउंटर खोल सकता है या स्वयं किराए पर जगह लेकर इसे चालू कर सकता है।
रेलवे के वेलफेयर फंड का उपयोग उच्च अधिकारियों की सुविधाओं के लिए किया जाता है, लेकिन जब बात जनता की सुविधाओं की आती है, तो सिर्फ बहाने बनाए जाते हैं।

प्रशासन से अपील, उच्च अधिकारियों को लिखा गया पत्र
रेलवे प्रशासन की इस मनमानी के खिलाफ बिलासपुर के पूर्व एल्डरमैन मनीष अग्रवाल ने रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, केंद्रीय मंत्री व बिलासपुर सांसद तोखन साहू, विधायक अमर अग्रवाल और जिलाधीश को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की है।
सवाल यह उठता है कि जब अन्य शहरों में बड़े संस्थान और उद्योग अपने क्षेत्रों के सौंदर्यीकरण और सुविधा विस्तार में प्रशासन का सहयोग करते हैं, तो बिलासपुर रेलवे डिवीजन इस दिशा में पीछे क्यों है?
यात्रियों की मूलभूत सुविधाओं को बहाल करने और रेलवे की इस अव्यवस्थित व्यवस्था को सुधारने की मांग को लेकर सोशल मीडिया पर भी अभियान चलाया जा रहा है। अब देखना होगा कि रेलवे प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है।

अधिमान्य पत्रकार छत्तीसगढ़ शासन