बिलासपुर। पांच साल बाद बिलासपुर जिला पंचायत में भाजपा की वापसी होगी। हालांकि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद अपनी कुर्सी बचाने के लिए जिला पंचायत के अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान ने दो और सदस्यों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। अध्यक्ष और दो सदस्यों के भाजपा में प्रवेश के बाद भी जिला पंचायत में कांग्रेस का कब्जा बना हुआ था। अब जबिक त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है। आठ मार्च को जिला पंचायत के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव होना है। इसे लेकर सत्ताधारी दल भाजपा व कांग्रेस में सियासत गरमाई हुई है।

17 सदस्यों वाली जिला पंचायत में मौजूदा चुनाव में भाजपा के नौ, कांग्रेस के पांच और तीन निर्दलीय सदस्य चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। सदस्यों की संख्या के हिसाब से सियासी गणित साफ है। भाजपा की ग्रामीण सरकार बनना तय है। ग्रामीण सरकार में अध्यक्ष की कुर्सी किसके हवाले होगी इसे लेकर चर्चा का बाजार गर्म है। जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। भाजपा से दो सदस्य चुनाव जीत कर जिला पंचायत पहुंच गए हैं। राजेश सूर्यवंशी और चंद्रप्रकाश सूर्या की पत्नी अरुणा की दावेदारी सामने आ रही है। ये दोनों अजा वर्ग से ताल्लुक रखती हैं। राजेश सूर्यवंशी की जिला पंचायत की राजनीति के लिहाज से वरिष्ठ सदस्यों के रूप में गिनती होती है। चंद्रप्रकाश सूर्या संगठन में लंबे समय से काम करते आ रहे हैं। जिले के एक कद्दावर भाजपा नेता के समर्थक के रूप में उनकी गिनती होती है। संगठन में लंबे समय से काम करने और गुटीय राजनीति से दूर रहकर संगठनात्मक गतिविधियों को आगे बढ़ाने में जिस तरह उनकी भूमिका रही है उसे देखते हुए माना जा रहा है कि राजनीतिक रूप से जिले के दिग्गज नेताओं का समर्थन उनकी पत्नी को मिल सकता है। अगर ऐसा होता है तो अंजना मुलकुलवार के बाद अरुणा दूसरी महिला होंगी जो जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में काम करती नजर आएंगी।
बनेगा एक और राजनीतिक संयोग

अरुणा के अध्यक्ष बनने की स्थिति में जिले में भाजपा के नजरिए से एक और बड़ा सियासी संयोग देखने को मिलेगा। नगर निगम में महिला महापौर के साथ ही जिला पंचायत में महिला अध्यक्ष कामकाज करते नजर आएंगी।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief