बिलासपुर। इस बार केंद्रीय जेल में होली का त्योहार पारंपरिक रासायनिक रंगों के बजाय हर्बल गुलाल से मनाया जाएगा। जेल प्रशासन ने महिला बंदियों को हर्बल गुलाल बनाने का विशेष प्रशिक्षण दिया है, जिससे वे जेल से छूटने के बाद आत्मनिर्भर बन सकें।

केंद्रीय जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी ने बताया कि महिला बंदियों को प्राकृतिक सामग्री से हर्बल गुलाल तैयार करने की विधि सिखाई गई है। यह पहल उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने और पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से की गई है। उन्होंने बताया कि हर्बल गुलाल पूरी तरह से प्राकृतिक है और इसमें किसी भी प्रकार के हानिकारक रसायन नहीं मिलाए गए हैं। पारंपरिक रंगों में मौजूद रसायनों से त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जबकि हर्बल गुलाल पूरी तरह सुरक्षित है।
बंदियों को मिला स्वरोजगार का अवसर
होली के अवसर पर जेल प्रशासन सभी कैदियों और अधिकारियों को हर्बल गुलाल उपलब्ध कराएगा। इस पहल से न केवल त्योहार को सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल बनाया जाएगा, बल्कि महिला बंदियों के लिए यह आजीविका का भी जरिया बनेगा। बंदियों को यह प्रशिक्षण शांता फाउंडेशन द्वारा दिया गया, जिसमें स्वयंसेवी संगठन के सदस्य भी मौजूद रहे।
केंद्रीय जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल में महिला बंदियों को विभिन्न प्रकार के स्वरोजगार प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। हर्बल गुलाल निर्माण प्रशिक्षण भी इसी योजना का हिस्सा है, जिससे बंदी सजा पूरी करने के बाद आत्मनिर्भर बन सकें और समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief