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July 7, 2025 3:09 am

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ये बिलासपुर है- कांग्रेस में कुछ भी हो सकता है, जो हुआ उसकी चर्चा रायपुर से दिल्ली तक


बिलासपुर। नगरीय निकाय चुनाव का परिणाम आने में अब बस 24 घंटे ही शेष है। इलेक्शन रिजल्ट को लेकर काउंट-डाउन शुरू हो गया है। चुनाव परिणाम के पहले ही जिला व शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों ने अपना फैसला सुनाना शुरू कर दिया है। शहर व जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षों विजय पांडेय व विजय केशरवानी के फैसले को लेकर अब पार्टी के भीतर सवाल उठने लगे हैं। या यूं कहें कि गुटीय राजनीति से प्रेरित इस तरह के फैसलों से कांग्रेस की ही भद पिट रही है।


पार्टी अनुशासन को लेकर पार्टी के भीतर और अंदर नियम कायदे होते हैं। संगठन को सुचारू रूप से चलाने के लिए अनुशासन समिति तो होती है साथ ही गाइड लाइन व मापदंड भी पहले से तय कर दिए जाते हैं। तय मापदंड के अनुसार ही अनुशासन को संचालित किया जाता है और कार्यकर्ताओं से लेकर पदाधिकारियों से पार्टी की अपेक्षा भी यही रहती है कि पदाधिकारी नियमों व निर्देशों का गंभीरता के साथ पालन करेंगे और इसी अनुरुप संगठन को चलाएंगे।

मौजूदा नगरीय निकाय चुनाव में बिलासपुर जिले के मद्देनजर यह सब-कुछ नजर नहीं आया। चुनाव के दौरान पूरे समय गुटीय राजनीति हावी रही। टिकट वितरण से लेकर चुनावी कैंपेनिंग तक यह सब दिखाई दिया। जिस तरह भगदड़ की स्थिति कांग्रेस में दिखाई दी इससे तो कांग्रेसजनों के साथ ही आम लोगों के बीच यही चर्चा रही कि जिले में संगठन नाम की चीज ही नहीं है। संगठन के पदाधिकारियों ने टिकट वितरण से लेकर कैपेंनिंग में अपनी ही चलाई। मतदान निपटते ही कांग्रेस के भीतर सक्रिय संगठन का गुट अब अपने विरोधियों को निपटाने का काम कर रहे हैं।

अचरज की बात ये कि इसके लिए प्रत्याशियों का इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर उनकी भावनाओं के साथ खेलने में लग गए हैं। प्रत्याशियों से एक शिकायत लिखवाई और गुटीय राजनीति में जिनके साथ मेल नहीं खाता उनको बस पार्टी से बाहर निकालने का खेला शुरू हो गया है। कार्यकर्ताओं से लेकर पदाधिकारियों को सीधे छह साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।

पीसीसी प्रवक्ता के खिलाफ स्थानीय स्तर पर कार्रवाई, जिलाध्यक्ष के ऊपर लटकी तलवार

एआईसीसी के नियमों व मापदंडों पर नजर डालें तो प्रदेश पदाधिकारी के खिलाफ सीधेतौर पर कार्रवाई का अधिकार जिला कांग्रेस कमेटी या शहर कांग्रेस कमेटी को नहीं है। इसके कायदे हैं। अगर प्रदेश पदाधिकारी के खिलाफ चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की शिकायत मिलती है तो जिला व शहर कांग्रेस कमेटी संबंधित की शिकायत के साथ उसे पीसीसी के हवाले करेगी। पीसीसी नियमों के अनुरुप आगे की कार्रवाई करेगी। मसलन संबंधित को उनका पक्ष रखने का मौका देगी।

कारण बताओ नोटिस के जरिए जवाब मांगा जाएगा। जवाब आने के बाद मामला अनुशासन समिति के पास भेजा जाएगा। अनुशासन समिति अपनी अनुशंसा के साथ पीसीसी को मामला वापस भेजेगी। पीसीसी आगे की कार्रवाई करेगी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अभयनारायण राय के मामले में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी ने पीसीसी के नियमों व कायदे को धता बताते हुए एकतरफा कार्रवाई कर दी है। अचरज की बात ये कार्रवाई की जानकारी मीडिया में लीक कर दी है। चर्चा तो इस बात की हो रही है कि जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय केशरवानी का राजनीतिक दांव कहीं उलटा ना पड़ जाए। इस तरह की कार्रवाई से खुद ही अनुशासनहीनता के दायरे में ना आ जाए। जिसकी चर्चा अभी से ही होने लगी है।
शिकायत निराधार,मैं तो मेयर केंडिडेट के साथ काम कर रहा था

पीसीसी के प्रवक्ता अभयनारायण राय भी इस तरह की कार्रवाई से भौचक है। उनका कहना है कि वे पूरे समय महापौर पद के उम्मीदवार प्रमोद नायक के साथ चुनावी कैंपेनिंग में लगे रहे। उनका सेंट्रल चुनाव कार्यालय में बैठकर समन्वय करते रहा। गुरुवार को भी मतगणना कार्य के लिए जरुरी तैयारी में व्यस्त रहा। बिना किसी नोटिस और जानकारी के इस तरह की कार्रवाई समझ से परे है। पीसीसी पदाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार जिला संगठन को नहीं है। जिलाध्यक्ष ने ऐसा क्यों किया वे ही बताएंगे।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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