दुर्घटनाओं को कम करने अन्य राज्यों की तरह रोडमैप तैयार करने के आदेश
निदेशक ने हलफनामा में जवाब किया पेश, अगली सुनवाई 24 मार्च को
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और खराब सड़क स्थिति को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई जारी है। हाई कोर्ट इस मामले की लगातार मानिटरिंग कर रहा है। गुरुवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ में सुनवाई हुई।
सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता धीरज वानखेड़े ने जानकारी दी कि 17 दिसंबर 2024 के पूर्व के आदेश के परिपालन में हलफनामा तैयार है, लेकिन इसके लिए दो दिन का अतिरिक्त समय मांगा गया। हलफनामे में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए किए जा रहे उपायों का उल्लेख किया गया है। उन्होंने बताया कि सड़क किनारे बंबू फेसिंग और गड्ढे बनाकर मवेशियों को रोकने जैसे कदम उठाए गए हैं। डबल बेंच ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए प्रभावी योजना तैयार की जाए और इसे अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 24 मार्च 2025 को निर्धारित की गई है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर बढ़ती दुर्घटनाओं और खराब प्रबंधन को लेकर हाई कोर्ट ने प्राधिकरण को सख्त चेतावनी दी है और सभी संबंधित पक्षों को समयबद्ध कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।

दुर्घटनाओं में वृद्धि पर कोर्ट की नाराजगी-
कोर्ट कमिश्नर ने सुनवाई के दौरान रिपोर्ट पेश की, जिसमें बताया गया कि 2023 की तुलना में 2024 में सड़क दुर्घटनाओं में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस पर अदालत ने गहरी चिंता व्यक्त की और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया।
पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने दिए थे यह निर्देश-
17 नवंबर 2024 को हुई पिछली सुनवाई में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने हलफनामे में कहा था कि दुर्घटनाओं को कम करने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं। हाई कोर्ट ने एनएचएआइ के अधिवक्ता को निर्देश दिया था कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अन्य राज्यों की तर्ज पर एक रोडमैप तैयार किया जाए। इसके साथ ही रायपुर स्थित एनएचएआइ के क्षेत्रीय निदेशक को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया था।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief