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March 12, 2025 10:39 pm

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हाई कोर्ट ने आंगनबाड़ियों में पौष्टिक आहार की कमी पर जताई नाराजगी

कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे, अगली सुनवाई 5 मार्च को
कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट पर महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक से मांगा जवाब

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने आंगनबाड़ियों में विशेष बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं दिए जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वतः संज्ञान में जनहित याचिका पर सुनवाई की। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की।
कोर्ट कमिश्नर अमीय कांत तिवारी ने बालोद जिले के डोंडी 01, डोंडी 02 और गुंडरदेही आंगनबाड़ी केंद्रों की बदहाल स्थिति का खुलासा किया। रिपोर्ट में बताया गया कि डोंडी 01 में बिजली की सुविधा नहीं है, लेकिन बिजली का बिल फिर भी आ रहा है। इसके साथ ही बच्चों को पौष्टिक आहार की आपूर्ति में गंभीर खामियां पाई गईं। मिक्स दाल जिसकी खरीदी 90 रुपये प्रति किलो के दर से हो रही है, उसका बाजार मूल्य बेहद कम है, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना पर सवाल उठे।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम का उल्लंघन-
कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी रिपोर्ट में ध्यान दिलाया कि उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने 25 जनवरी 2023 को पोषण आहार की मात्रा में संशोधन किया था। इसके बावजूद महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस दिशा में क्या कदम उठाए हैं, इसे लेकर सवाल खड़े हुए।

भिलाई-चरोदा के आंगनबाड़ी केंद्रों पर रेलवे की आपत्ति-
भिलाई-चरोदा स्थित आंगनबाड़ी केंद्रों के भवन निर्माण को लेकर रेलवे की ओर से अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने अदालत को बताया कि भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग कोड के अनुसार रेलवे क्षेत्र की भूमि पर आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देने का प्रावधान नहीं है। हालांकि, राज्य सरकार के अनुरोध पर भूमि हस्तांतरित की जा सकती है।

हाई कोर्ट ने दिए यह निर्देश-
मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा ने महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक को निर्देश दिया है कि वे पोषण आहार की मात्रा संशोधन से जुड़े 25 जनवरी 2023 के नोटिफिकेशन पर उठाए गए कदमों का विवरण एक नया शपथ पत्र दाखिल कर प्रस्तुत करें। इसके साथ ही अगली सुनवाई 5 मार्च 2025 को निर्धारित की गई है। यह मामला न्यायालय के कोर्ट कमिश्नरों – अमीय कांत तिवारी, सिद्धार्थ दुबे, आशीष बेक और ईशान वर्मा की निगरानी में आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट में दुर्ग और बालोद सहित अन्य जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति पर भी ध्यान आकर्षित किया गया है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने इस मामले में अपनी सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए आंगनबाड़ियों की दशा सुधारने के लिए त्वरित और प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

Ravi Shukla
Author: Ravi Shukla

Editor in chief

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