स्कूलों में शौचालय नहीं होने और दुर्दशा को लेकर जताई नाराजगी, स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर हुई सुनवाई
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने 10 फरवरी की तिथि तय कर दी है।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ये कितनी गलत बात है। यह सब क्या हो रहा है। भारी भरकम राशि मिलने के बावजूद भी ऐसा हो रहा है। स्कूलों में शिक्षकों और स्टूडेंट्स के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कयों नहीं कराई जा रही है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अखबार प्रकाशित उस खबर को संज्ञान में लिया है जिसमें बताया गया है कि 150 स्कूलों में टॉयलेट नहीं है और 216 से ज्यादा की स्थिति बदतर है। शिक्षिकाओं में यूरिनल इन्फेक्शन की जानकारी भी दी गई है।





सोमवार को जनहित याचिका की चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस ने इस तरह की अव्यवस्था को लेकर नाराजगी जताई और शासन की ओर से कोर्ट के समक्ष पक्ष रखने वाले महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत को कहा कि कितनी गलत बात है। सरकार को ओर से ग्रांट दिए जाने के बाद भी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। यह लापरवाही है। नाराज डिवीजन बेंच ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।




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