बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि किसी कर्मचारी को प्रतिनियुक्ति पर भेजने से पहले संबंधित अधिकारी या कर्मचारी का सहमति आवश्यक है। बगैर सहमति किसी पर आदेश अधिरोपित नहीं किया जा सकता। जस्टिस एके प्रसाद के सिंगल बेंच ने एकसाथ राज्य शासन के दो आदेश पर रोक लगा दिया है।
कुम्हारी नगरपालिका में सीएमओ के पद पर पदस्थ एनआर चंद्राकर ने अधिवक्ता संदीप दुबे व मानस वाजपेयी के माध्यम से याचिका दायर कर तबादला आदेश को चुनौती दी थी। दायर यााचिका में कहा कि राज्य शासन ने एक आदेश जारी कर उनका तबादला रायपुर नगर निगम में उपायुक्त के पद पर कर दिया है। उनकी जगह पाटन में पदस्थ सहायक उप निरीक्षक को प्रभारी सीएमओ कुम्हारी के पद पर स्थानांतरित कर दिया है। याचिकाकर्ता ने नगरपालिका अधिनियम में दिए गए प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि सहायक उप निरीक्षक को सीएमओ के पद पर पदस्थ नहीं किया जा सकता। सहायक उपनिरीक्षक का पद सब आर्डिनेट कर्मचारी है। राज्य शासन ने नियमों के विपरीत रिप्लेसमेंट कर दिया है।

मामले की सुनवाई जस्टिस एके प्रसाद के सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे ने कहा कि इससे पहले याचिकाकर्ता को नगर पालिका परिषद रायपुर में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था, जहां उन्होंने पांच साल तक काम किया और जब उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त हो गई तो उन्हें 07.03.2024 को उनके मूल पदस्थापना स्थान पर भेज दिया गया, आठ महीने बाद ही उन्हें फिर से उसी स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है जहां उन्हें पहले प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था।
मामले की सुनवाई जस्टिस एके प्रसाद के सिंगल बेंच में हुई। मामले की पैरवी करते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे ने नगरपालिका अधिनियम में दिए गए प्राविधानों का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम, 1961 की धारा 86(4) के अनुसार राज्य सरकार किसी नगर पालिका परिषद के कर्मचारी को एक परिषद से दूसरी परिषद में स्थानांतरित कर सकती है, लेकिन वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता को नगर पालिका परिषद से नगर निगम में स्थानांतरित किया गया है, जो विधि सम्मत नहीं है।
0 कोर्ट ने शासन के दोनों आदेश पर लगाई रोक
मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने राज्य शासन द्वारा 26.12.2024 को जारीआदेशों के प्रभाव और संचालन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य शासन को जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। इसके लिए चार सप्ताह की मोहलत दी है। मामले की अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 10 फरवरी की तिथि तय कर दी है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief