*लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण के साथ जमीन वापसी की मांग*
*प्रदर्शन के बाद 26 दिसंबर को भूविस्थापितों की समस्याओं के समाधान के लिए बैठक के आश्वाशन के बाद प्रदर्शन समाप्त*
*रोजगार प्रकरणों का निराकरण नहीं होने पर 1 जनवरी को कुसमुंडा खदान बंद की घोषणा*
एसईसीएल के कुसमुंडा,गेवरा,दीपका क्षेत्र के प्रभावित गांव के भू विस्थापितों ने छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित संगठन के नेतृत्व में लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण,खमहरिया की जमीन किसानो को वापस करने एवं बसावट गांव में मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने की मांग को लेकर एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर के सामने अर्द्धनग्न होकर मुख्य द्वार को बंद कर घेराव प्रदर्शन करते हुए सभी खातेदारों को रोजगार देने के साथ पूर्व में अधिग्रहित जमीन किसानो को वापस करने की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे 5 घंटो तक मुख्य प्रवेश द्वार बंद प्रदर्शन के बाद एसईसीएल मुख्यालय के अंदर से अधिकारी बाहर आकर भू विस्थापितों से बात कर समस्याओं का समाधान का आश्वाशन देने लगे भू विस्थापितों ने कहा जो भी कहना है लिखित में दे फिर अधिकारियों ने 26 दिसंबर को सीएमडी कार्यालय में कार्मिक निर्देशक की अध्यक्षता में बैठक कर समस्याओं का समाधान का लिखित आश्वासन दिया जिसके बाद प्रदर्शन समाप्त हुआ। भू विस्थापितों के आंदोलन को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात था।
उल्लेखनीय है कि 1148 दिन से कुसमुंडा मुख्यालय के सामने भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के बेनर तले छत्तीसगढ़ किसान सभा के सहयोग से जमीन के बदले रोजगार की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं इस बीच कई बार खदान बंद भी किया गया। विस्थापित इस बार रोजगार मिलने तक संघर्ष जारी रखने की बात पर अड़े हुए हैं। 26 दिसंबर की बैठक में मांगो पर सकरात्मक पहल नहीं होने पर 1 जनवरी 2025 को कुसमुंडा खदान बंद प्रदर्शन करने की घोषणा किसान सभा ने की है।
किसान सभा के प्रदेश संयुक्त सचिव प्रशांत झा ने अधिकारियों से साफ कहा की सभी भू विस्थापित किसानों जिनकी जमीन एसईसीएल ने अधिग्रहण किया है उन सभी खाते पर भू विस्थापितों को स्थाई रोजगार एसईसीएल को देना होगा। विकास परियोजना के नाम पर गरीबों को सपने दिखा कर करोड़ों लोगों को विस्थापित किया गया है अपने पुनर्वास और रोजगार के लिये भू विस्थापित परिवार आज भी भटक रहे हैं।विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दीये गए विस्थापित परिवारों की जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है। विकास की जो नींव रखी गई है उसमें प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। लगातार संघर्ष के बाद खानापूर्ति के नाम पर कुछ लोगों को रोजगार और बसावट दिया गया जमीन किसानों का स्थाई रोजगार का जरिया होता है। सरकार ने जमीन लेकर किसानों की जिंदगी के एक हिस्सा को छीन लिया है। इसलिए जमीन के बदले सभी खातेदारों को स्थाई रोजगार देना होगा। भू विस्थापित किसानों के पास अब संघर्ष के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है। सरकार की कॉरपोरेटपरस्त नीतियां गरीबों की आजीविका और प्राकृतिक संसाधनों को उनसे छीन रही है।यही कारण है कि कुछ लोग मालामाल हो रहे है और अधिकांश जिंदा रहने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
किसान सभा के नेता दीपक साहू, जय कौशिक ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है। खमहरिया के किसान जिस जमीन पर कई पीढ़ियों से खेती किसानी कर रहे है उसे प्रबंधन प्रशासन का सहारा लेकर किसानों से जबरन छीनना चाह रही है जिसका किसान सभा विरोध करती है और उन जमीनों को किसानों को वापस करने की मांग करती है।
भू विस्थापित रोजगार एकता संघ के नेता दामोदर श्याम,रेशम यादव,सुमेंद्र सिंह कंवर और दीपका क्षेत्र के पवन यादव ने कहा कि 1978 से लेकर 2004 के मध्य कोयला खनन के लिए जमीन को अधिग्रहित किया गया है लेकिन तब से अब तक विस्थापित ग्रामीणों को न रोजगार दिया गया है न पुनर्वास ऐसे प्रभावितों की संख्या सैकड़ों में है।
भू विस्थापितों नेताओं ने कहा कि भू विस्थापितों को बिना किसी शर्त के जमीन के बदले रोजगार देना होगा और वे अपने इस अधिकार के लिए अंतिम सांस तक लड़ेंगे । सरकार को विस्थापितों को ऐसा जीवन प्रदान करना चाहिए जिससे उनको लगे की उन्होंने अपनी जमीन नहीं खोया है लेकिन सरकार गरीबों को जमीन पर लाकर खड़ा कर देती है। गरीबों के पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है।
लंबित रोजगार प्रकरणों में रोजगार के साथ पूर्व में अधिग्रहित जमीन किसानो को वापस करने के संबंध में एसईसीएल के अधिकारियों ने अगर 26 दिसंबर की बैठक में समस्याओं का निराकरण को गंभीरता से निराकरण नहीं किया तो खदान बंद करते हुए उग्र आंदोलन करेंगे।
प्रदर्शन में प्रमुख रूप से प्रशांत झा,दीपक साहू,जय कौशिक,दामोदर श्याम,रेशम यादव, सुमेंद्र सिंह कंवर,दीनानाथ,पवन यादव,अनिरुद्ध,अनिल बिंझवार,रघुनंदन,कृष्ण कुमार,होरीलाल, डूमन,उमेश,लम्बोदर,उत्तम,गणेश, मानिक दास, नौशाद,विष्णु,मुनीराम, के साथ बड़ी संख्या में भू विस्थापित उपस्थित थे।
किसान सभा ने घोषणा की है कि भू विस्थापितों की समस्याओं को लेकर 1 जनवरी 2025 को जब पूरी दुनिया नए साल का जस्न बनाएगा तब भू विस्थापित कुसमुंडा खदान बंद करते हुए विस्थापन के बाद अपनी दुर्दशा को बताने के लिए उग्र आंदोलन करेंगे।
मांगे :-
1) भू विस्थापित जिनकी जमीन सन 1978 से 2004 तक अर्जन की गई उन प्रत्येक खातेदार को रोजगार संबंधित प्रक्रिया पूरी कर जल्द रोजगार प्रदान किया जाए।
2) जिन भू विस्थापितों का फाइल बिलासपुर मुख्यालय में है उन्हे तत्काल रोजगार प्रदान किया जाए।
3) पूर्व में अधिग्रहित खमहरिया की जमीन मूल किसानों को वापस की जाए।
4) भैसमाखार के विस्थापित को बसावट प्रदान किया जाए।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief