बिलासपुर ।कलेक्टर अवनीश शरण द्वारा गोकने नाला में उद्गम से लेकर संगम तक अतिक्रमण करने और नाला की चौड़ाई कम करने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई करने और नाले के मूल स्वरूप को वापस लाने जो कदम उठाया गया है वह निःसंदेह सराहनीय है लेकिन सकरी से निकले गोकने नाला जो तिफरा ,सिरगिट्टी, बन्नाक,बसिया ,सिलपहरी,मानिकपुर ,देवरीखुर्द होते हुए सरवानी में अरपा नदी और शिवनाथ नदी के संगम में मिल जाती है ,के उद्गम से लेकर संगम तक इतने ज्यादा अतिक्रमण हो गए है कि नाले का मूल स्वरूप छोटा हो चुका है ।
नाले में उद्योगों द्वारा छोड़े गए गंदे पानी से गोकने नाला का पानी काला हो गया है।नाले के किनारे किनारे अतिक्रमण कर अनेक उद्योगपतियों ने पक्की दीवाल खड़ी कर नाले की दिशा बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है ।नाले के किनारे एस ब्रिक्स और मोबाइल टावर भी खड़े है ।
यह तो जांच से पता चलेगा कि टावर और ईट भट्ठा निर्माण में नाले का कितना भाग चैंप लिया गया है। नाले से लगे सरकारी जमीन पर भी काफी तादाद में अतिक्रमण है और अतिक्रमण करने वाले अपनी सुविधानुसार सीधी बह रहे नाले को टेढ़ा मेढा करने और नाले को संकरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है ।
कई उद्योग संचालक अपने उद्योग का गंदा पानी बाहर छोड़ने नालियां तो बनवाए है लेकिन उन नालियों को गोेकने नाला से जोड़ दिया है जिससे गोकने नाला का पानी कई स्थानों पर काला दिखाई दे रहा है । कलेक्टर के निर्देश पर सकरी तहसीलदार ने जांच के 15 लोगो की टीम बना दी है लेकिन यह टीम सिर्फ सकरी से तिफरा तक गोकने नाले में अतिक्रमण की जांच करेगी जबकि गोकने नाला में सर्वाधिक और मनमाने पर तौर पर पक्के अतिक्रमण सिरगिट्टी,बन्नाक,बसिया, सिलपहरी,और औद्योगिक क्षेत्र में है ।
दरअसल औद्योगिक विकास निगम से जमीन प्राप्त कर उद्योग प्रारंभ करने वाले अनेक उद्योग पति जिनके उद्योग गोकने नाले से लगा हुआ है,उन्होंने नाले के किनारे जमीन पर कब्जा कर पक्के दीवाल का निर्माण करवा दिए है ।औद्योगिक विकास निगम के अधिकारियों को अतिक्रमण से कोई लेना देना नही है । AKVN की जो जमीन गोकनेे नाले से लगी हुई है उसका सीमांकन और यदि उद्योगों द्वारा बेजा कब्जा किया गया है तो उसकी जांच होनी चाहिए।
तिफरा से होते हुए गोकने नाला का पानी Sirgitti और बन्नाक पहुंचने के दौरान रेलवे के पुल के नीचे से गुजरती है इस दौरान कल कल करती पानी की आवाज और झक सफेद रंग मन को प्रफुल्लित कर देता है लेकिन यही पानी का रंग मुश्किल से एक किलोमीटर बाद पूरी तरह काला हो चुका रहता है, जाहिर है कई फैक्ट्रियों से निकला दूषित और केमिकल युक्त पानी गोकने नाला में प्रवाहित किया जाता है। इस बात के सबूत के लिए देखिए हमारे द्वारा खींची गई तस्वीर और बनाए गए वीडियो को ।
हम तो कलेक्टर साहब से यही आग्रह कर सकते है कि बात जब गोकने नाला के उद्गम से लेकर संगम तक अतिक्रमण हटाने और नाले का वास्तविक स्वरूप लौटाने की हो रही है तो फिर नाले का उद्गम स्थल तो सरवानी गांव है जहां अरपा नदी और शिवनाथ नदी मिलती है इसलिए गोकने नाला के उद्गम स्थल सकरी से लेकर तिफरा, सिरगिटी,बन्नक,बसिया, सिलपहरी,मानिकपुर,देवरीखुर्द और सरवानी तक सर्वे और जांच कर नाले के किनारे जितने भी अवैध कब्जे और पक्के निर्माण किए गए हो उसके खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई की जानी चाहिए । दरअसल सिरगिटी के पूरे औद्योगिक क्षेत्र में राजस्व अमला ने कभी इस बात की जांच ही नहीं की है कि सरकारी जमीन और गोकने नाला के किनारे कितने लोगो ने कब्जा कर रखा है । चूंकि जमीन औद्योगिक विकास निगम की है इसलिए राजस्व विभाग का अमला वैसे भी पल्ला झाड़ते रहा है ।शायद इसीलिए सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की बाढ़ आ गई है । इसलिए बड़े आपरेशन और कार्रवाई की जरूरत है ।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief