आज तिथि ५१२६ /०५-०१-१५/०२ युगाब्द ५१२६ / श्रावण शुक्ल पूर्णिमा, सोमवार “रक्षा बंधन/वरलक्ष्मी व्रत/श्रावण पूर्णिमा” शुभ व मंगलमय हो….
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अंको में आज की तिथि
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♡🔆 5126/05/01/15/02♡
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युगाब्द (कलियुग) – 5126
श्रावण – पांचवा माह (05)
शुक्ल पक्ष – पहला पक्ष (01)
तिथि – पूर्णिमा ( 15 वीं )
वार/दिन- सोमवार ( 02 रा वार/दिन )
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*येन बद्धो बलीराजा, दानवेन्द्रो महाबल: ।*
*तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।*
✍ भारतीय संस्कृति सिखाती है कि सामर्थ्यवान को हमेशा कमजोर की रक्षा करनी चाहिए ।
✍ मौली/कलावा/रक्षासूत्र/राखी हाथ मे बाँधना/बंधवाना सामर्थ्यवान का कमजोर को विपत्तियों से रक्षा का आश्वासन है ।
✍ धार्मिक क्रियाकलापों में पुरोहित/आचार्य द्वारा उपर्युक्त मंत्र के साथ कलावा बाँधना, ईश्वर की ओर से रक्षा का आश्वासन माना जाता है ।
✍️ हाथ मे बंधा कलावा हमको हर पल आश्वस्त करता है कि ईश्वर की सुरक्षा हमारे साथ है ।
✍ आज रक्षाबंधन के पावन अवसर पर बहन द्वारा भाई को राखी बाँधना भी उससे अपनी रक्षा हेतु आश्वासन लेना ही है ।
*आज की तिथि 5124 / 07-01-02/ 03 युगाब्द 5124, आश्विन शुक्ल नवरात्रि द्वितीया मंगलवार की पावन मंगल बेला में, कमजोर की रक्षा के संकल्प के साथ, नित्य की भाँति सबको “राम-राम” ।*
*व्यस्त रहेंगे -तो मस्त रहेंगे*
*मस्त रहेंगे -तो स्वस्थ रहेंगे*
सर्व प्रथम राखी किसने बांधी किस को और क्यों?
लक्ष्मी जी ने सर्वप्रथम बालि को बांधी थी। ये बात हैं जब की दानबेन्द्र राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करा रहें थे । तब नारायण ने राजा बलि को छलने के लिये वामन अवतार लिया और तीन पग में सब कुछ ले लिया। तब उसे भगवान ने पाताल लोक का राज्य रहने के लिये दें दिया । तब उसने प्रभु से कहा की कोई बात नहीँ मैं रहने के लिये तैयार हूँ , पर मेरी भी एक शर्त होगी। भगवान अपने भक्तो की बात कभी टाल नहीँ सकते। तब बोले बलि की मैं जब सोने जाऊँ तो जब उठूं तो जिधर भी नजर जाये उधर आपको ही देखूं।नारायण बोले इसने तो मुझे पहरेदार बना दिया हैं ये सबकुछ हार के भी जीत गया है , पर कर भी क्या सकते थे वचन जो दें चुके थे ।
ऐसे होते होते काफी समय बीत गया । उधर बैकुंठ में लक्ष्मी जी को चिंता होने लगी नारायण के बिना। उधर नारद जी का आना हुआ ।लक्ष्मी जी ने कहा नारद जी आप तो तीनों लोकों में घूमते हैं क्या नारायण को कहीँ देखा आपने ? तब नारद जी बोले की पाताल लोक में हैं राजा बलि की पहरेदार बने हुये हैं । तब लक्ष्मी जी ने कहा मुझे आप ही राह दिखाये की कैसे मिलेंगे।तब नारद ने कहा आप राजा बलि को भाई बना लो और रक्षा का वचन लेना की दक्षिणा में जो मांगुगी वो देंगे, और दक्षिणा में अपने नारायण को माँग लेना।
लक्ष्मी जी सुन्दर स्त्री के भेष में रोते हुये पहुँची । बलि ने कहा क्यों रो रहीं हैं आप?
तब लक्ष्मी जी बोली की मेरा कोई भाई नहीँ हैं इसलिए मैं दुखी हूँ । तब बलि बोले की तुम मेरी धरम की बहिन बन जाओ। तब लक्ष्मी बोली मुझे आपका ये पहरेदार चाहिये।
जब ये माँगा तो बलि ने सोचा, धन्य हो, पति आये सब कुछ लें गये और ये महारानी ऐसी आयीं की उन्हे भी लें गयीं !
तब से ये रक्षाबन्धन शुरू हुआ था।
इसी लिये जब कलावा बाँधते समय मंत्र बोला जाता हैं,
‘ *येन बद्धो राजा बलि दानबेन्द्रो महाबला तेन त्वाम प्रपद्यये रक्षे माचल माचल* ‘
ये मंत्र हैं ‘
रक्षा बन्धन अर्थात बह बन्धन जो हमें सुरक्षा प्रदान करे सुरक्षा किस से?
हमारे आंतरिक और बाहरी शत्रुओं से रोग ऋण से।