:बिलासपुर । शिक्षा विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपी को प्रार्थी ने लाखों रुपए दे दिए मगर घटना की रिपोर्ट 4 साल बाद करने की वजह से पेंड्रा रोड के अपर सत्र न्यायाधीश किरण थवाईत ने आरोपी का अग्रिम जमानत आवेदन स्वीकार कर सशर्त जमानत दे दी है ।आरोपी की ओर से अधिवक्ता निखिल शुक्ला ने पैरवी की ।
केसडायरी के मुताबिक प्रार्थी राजेश कुमार अग्रहरी पिता स्व० राधेश्याम द्वारा पुलिस अधीक्षक, गौरेला पेण्डा-मरवाही में इस आशय का शिकायत प्रस्तुत किया गया कि उसका जमीन मरवाही में स्थित था, जिसके बिकी के संबंध में मरवाही आना-जाना लगा रहता था, जिससे उसकी पहचान विजय सिंह बघेल निवासी लोहारी, मरवाही के साथ सन्, 2019 में हुआ था। दिनांक-04.08.2019 को वह विजय सिंह बघेल के परिचित विजय साहू जो अपने आप को मंत्रालय में पदस्थ अधिकारी होना बतलाया था और विजय साहू के कहने पर कि मैं तुम्हारा नौकरी शिक्षा विभाग में संविदा क्र्लक मेंलगवा दूंगा 3,00,000/- तीन लाख रूपये लगेंगे, उसके बात में आकर दिनांक-06.08.2019 को पहली किश्त की राशि 75,000 पछहत्तर हजार रूपया
विजय सिंह बघेल के हाथ में लोहारी के पूर्व सरपंच रोहित परस्ते के घर पर गवाह रोहित परस्ते कुलदीप केंवट के सामने दिया है, उसके बाद विजय साहू के द्वारा मोबाइल पर कहा गया कि वह ग्राम सिवनी, मरवाही के स्कूलों का निरीक्षण करने आउंगा, तो बाकी पैसा दे देना, किसी कारणवश पैसा व्यवस्था ना होने पर विजय साहू के द्वारा मरवाही आकर कहा गया कि पैसा व्यवस्था होजाये तो उसके रायपुर निवास में आकर पैसा दे देना। दिनांक-12.08.2019 को उनका घर नया रायपुर सेक्टर 29 मकान नंबर एम/189 विजय सिंह बाग है, कुलदीप केंवट पंकज सिंह के सामने 1,75,000 /- रूपये नगद विजय साहू के हाथ में दिया था, जिसका वीडियो क्लिप उसके पास सुरक्षित है। विजय साहू द्वारा टाल मटोल करके एक वर्ष बीतने के बाद विजय साहू द्वारा उसे मोबाइल पर फोन कर बताया गया कि वह 15.08.2020 को सिवनी मरवाही पहुंचूंगा तब तुम करीब 1,00,000 एक लाख रूपये की व्यवस्था कर लेना तभी वहीं तुम्हारा नियुक्ति पत्र दिखाउंगा दिनांक-18.08.2020 को वह अपने दोस्त पंकज सिंह के साथ ग्राम-सिंवनी, मरवाही स्थित सरकारी आवास में1,00,000/- एक लाख रूपये दिया है, तब विजय साहू के द्वारा एक आदेश पत्र: स्वयं के मोबाइल पर उसका नियुक्ति पत्र उसे दिखलाया जिस पर अपर सचिव शिक्षा विभाग का सील लगा हुआ था। विजय साहू द्वारा उसे अपने विश्वास पर लाने के लिए 60,000/- साठ हजार रूपये का चेक दिया, जिसका खाता क्रमांक-3429088671 चेक क्रमांक-019315 है, चेक सेंटल बैंक ऑफ इंडिया बिलासपुर का था। दो माह पश्चात् 22.10.2020 को वह और स्व० उत्तम केंवट निवासी लोहारी के साथ नया रायपुर इन्द्रावती भवन में सेकण्ड फलोर पर विजय साहू द्वारा बुलाया गया और कहा गया कि एक हफ्ते बाद काम हो जाएगा। उक्त दिनांक से लेकर आज दिनांक तक नहीं विजय साहू के द्वारा कोई नियुक्ति पत्र मिला है और न ही पैसा वापस किया गया। प्रार्थी के उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाना मरवाही के द्वारा अभियुक्त विजय साहू के विरूद्ध अपराध क्रमांक-185/2024 अंतर्गत धारा-420, भा०द०सं० का अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण विवेचना में लिया गया।
प्रकरण में उल्लेखनीय है कि प्रार्थी लगभग 05 वर्ष विलंब से रिपोर्ट दर्ज कराया है; प्रार्थी द्वारा पुलिस अधीक्षक के समक्ष प्रस्तुत लिखित शिकायत के अवलोकन से प्रथम दृष्ट्या यह प्रकट है कि अंतिम बार दिनांक-22.10.2020 को प्रार्थी को आवेदक/अभियुक्त नया रायपुर, इंद्रावती भवन, में बुलवाकर एक हफ्ते बाद काम हो जाएगा कहा था, परंतु, एक हफ्ते में काम नहीं होने के बावजूद प्रार्थी राकेश अग्रहरी ने कभी भी कोई रिपोर्ट इस रिपोर्ट के पूर्व तक नहीं किया और लगभग 03-04 वर्ष के बाद लिखित शिकायत प्रस्तुत किया है। आवेदक/अभियुक्त ने एक-दूसरे से परिचित होने के कारण पैसे का लेन-देन चलते रहना तथा प्रार्थी द्वारा दुर्भावना पूर्वक पूर्व नियोजित षड्यंत्र के आधार पर पैसा उगाही करने की नियत से: रिपोर्ट दर्ज कराया जाना अपने तर्क में बताया है तथा यह भी तर्क किया है कि वह अपने पैर के इलाज हेतु प्रार्थी से 60,000/- साठ हजार रूपये लिया था, जिसे 16.02.2021 को दो गवाहों के समक्ष चुकता कर रसीद प्राप्त किया था।
इसी प्रकार 10.01.2020 को प्रार्थी को 25,000/- पच्चीस हजार रूपये चेक क्रमांक-019311 प्रार्थी की बहन के नाम से देना, दिनांक-28.02.2021 को प्रार्थी को उधार स्वरूप 3,000/- तीन हजार रूपये गूगल पे के माध्यम से देना, दिनांक-06.08.2021 को प्रार्थी की मां के क्रियाकर्म के लिए 15,000/- पंद्रह हजार रूपये गूगल पे के माध्यम से देना एवं 28.02.2022 को 5,000/- पांच हजार रूपये, 28.09.2022 को 5,000/- पांच हजार रूपये गूगल पे के माध्यम से देना बताया है। आवेदक/अभियुक्त ने स्वयं का स्वास्थ्य खराब होना तथा सेवा निवृत्त व्यक्ति होना भी बताया है।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि आवेदक /अभियुक्त के विरूद्ध धारा-420 भा०द०सं० का अपराध पंजीबद्ध किया गया है। दस्तावेजों की कूटरचना किये जाने के संबंध में कोई तथ्य उल्लेखित नहीं है। अधिरोपित अपराध 07 वर्ष तक के कारावास से दंडनीय अपराध है। मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध नहीं है। आवेदक / अभियुक्त तथा प्रार्थी के मध्य लंबे समय से चले उपरोक्त संव्यवहार को देखते हुए तथा प्रार्थी द्वारा अत्यधिक विलंबित रिपोर्ट दर्ज कराने को देखते हुए आवेदक/अभियुक्त को सशर्त अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। परिणामस्वरूप आवेदक / अभियुक्त की ओर से प्रस्तुत अग्रिम जमानत आवेदन पत्र अंतर्गत धारा 438 द०प्र०सं० स्वीकार किया जाता है तथा आदेशित किया जाता है कि यदि आवेदक/अभियुक्त को आरक्षी केन्द्र मरवाही के द्वारा अपराध क्रमांक 185/2024 धारा 420, भा०द०सं० में गिरफ्तार किया जाता है तो आवेदक / अभियुक्त द्वारा 50,000/- पचास हजार रूपए का समक्ष जमानत एवं इतनी ही राशि का बंधपत्र प्रस्तुत करने पर उसे शर्तों पर जमानत पर रिहा किया जावे-