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July 1, 2025 3:24 pm

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नाम पर राजनीति सियासत देश की विकास का रोड़ा मात्र है! ,नाम परिवर्तन की राजनीति क्या देश को समुचित विकास प्रशस्त करेगा?

देश व प्रदेश में योजनाओं का नाम परिवर्तन करना कोई नई बात नहीं है। सत्तीधारी पार्टी, विपक्ष के काम में कमी निकालकर अपने विचारधारा के अनुरूप योजनाओं का नाम परिवर्तन कर आम जनता के भले की बात प्रचारित करता है। तो क्या केवल नाम परिवर्तन भर से कार्यक्रम का क्रियान्वयन ठीक हो जाएगा? क्या चुनी हुई सरकार एक पार्टी विशेष की सरकार होकर कार्य करेगी या फिर संवैधानिक प्रक्रिया के अनुरूप कार्य करेगी? जैसे कि उनके द्वारा संविधान की शपथ लेकर बिना राग, द्व्वेश के समाज के सभी तबको के हित की रक्षा के लिए किए जाना चाहिए।
अब बात करते है कि नौ माह पूर्व बने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लगातार राज्य के भावना के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए जिस तरह एक पार्टी विशेष के विचारधारा पर चलकर सबसे पहले राजकीय कार्यक्रम से राजगीत को हांसिए में डालना या फिर छत्तीसगढ़ के संस्कृति, परंपरा के प्रतीक छत्तीसगढ़ महतारी के फोटो को राजकीय प्रचार- प्रसार से अलग करना या फिर छत्तीसगढ़ अस्मिता व स्वाभिमान के प्रतीक छत्तीसगढ़ के पुरोधा महापुरूषों की बात हो। यह तमाम बातें एक संवैधानिक रूप से शपथ लेने वाले सरकार के क्रियाकलापों के लिए उचित प्रतीत नहीं होता है। हॉ, निश्चित रूप से यदि योजना कियान्वयन में कमिया हो तो उसे बेहतर करने की जिम्मेदारी सरकार की होती है; किन्तु नाम परिवर्तन करना कोई विकल्प नहीं है। पूर्ववर्ती भूपेश सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के स्थानीय महापुररूषों के सम्मान में स्वास्थ्य बीमा योजना का नाम डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य बीमा योजना नामकरण किया गया था, जिसे वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना कर दिया गया है। अब प्रश्न उठता है कि क्या केवल नाम बदल देते से ही जनता को योजना का पूरा लाभ मिलेगा या फिर कार्यक्रम कियान्वयन में जो खामी है, उसे दूर करके अधिक जनोपयोगी बनाना? नाम बदलने से सरकारी धन का बेतहासा क्षति होता है; तो क्या सरकार को इस प्रकार के अपव्यय को रोककर जन कल्याण में नहीं लगाना चाहिए? क्या जनता का चुनाव सरकार को एक विचारधारा या पार्टी को बढ़ावा देने के लिए होता है या फिर विकास के पहिए को तेज गति से चलाने और समावेशी संवैधानिक पहलूओं के रक्षा हेतु होता है?

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*क्या है स्वास्थ्य बीमा योजना?*
यह योजना 1 अप्रैल 2008 को तत्कालिन डॉ. मनमोहन सिंह सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) के नाम से शुरू किया गया था। आरएसबीवाई भारतीय गरीबों के लिए सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम है। इस योजना का उद्देश्य बीपीएल श्रेणी से संबंधित गैर-मान्यता प्राप्त क्षेत्र के श्रमिकों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करना है और उनके परिवार के सदस्य इस योजना के तहत लाभार्थी होंगे। यह सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में अस्पताल में भर्ती होने के लिए कैशलेस बीमा प्रदान करता है। यह प्रारंभ में श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत एक परियोजना के रूप प्रारंभ किया गया था, जिसे 1 अप्रैल 2015 से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को हस्तांतरित कर दिया गया है।
पूर्व में संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना को समाहित करते हुए 23 सितंबर 2018 में श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के द्वारा ’’प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’’ की शुरूवात किया गया, जिसे लोग (पीएम-जय) के नाम जानते थे। यह योजना दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसका उद्देश्य गरीब और वंचित प्रति परिवारों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का माध्यमिक और तृतीयक अस्पताल में भर्ती की जरूरतों को कैशलेस तरीके से मुफ़्त इलाज का लाभ मुहैया कराता है। इस प्रकार प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना पूरी तरह से एक सरकार द्वारा वित्त-पोषित योजना है जिसकी कार्यान्वयन की लागत केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बाटी गई है।

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*छत्तीसगढ़ राज्य की स्वास्थ्य बीमा योजना क्या है?*
चूंकि भारत सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाई) केवल बीपीएल श्रेणी से संबंधित गैर-मान्यता प्राप्त क्षेत्र के श्रमिकों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करता था। अतः तत्कालिन डॉ. रमन सिंह सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2012 को मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू किया गया; जो आम लोगों को भी 30 हजार रुपए तक इलाज कराने की सुविधा प्रदान करता था तथा 1 अक्टूबर 2017 से योजना अंतर्गत राशि रूपए 30 हजार को बढ़ाकर 50 हजार रूपए कर दिया गया था। यही वजह है कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के चलते छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है; जहॉ पूरे राज्य को 100 प्रतिशत हेल्थ बीमा कवरेज की सुविधा है।
राज्य में संचालित राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना एवं मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना को पूर्ववर्ती श्री भूपेश बघेल सरकार द्वारा स्थानीय महापुरूष को सम्मान देने के उद्देश्य से योजना का नाम डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना करते हुए राज्य में क्रियान्वित 4 पृथक- पृथक योजना (संजीवनी सहायता योजना, मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम व मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना) को इस नवीन योजना में समाहित कर लिया गया। अब छत्तीसगढ़ के वर्तमान श्री विष्णुदेव साय सरकार द्वारा उस योजना को शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना कर दिया गया है।

*कौन है डॉ. खबचंद बघेल?*
छत्तीसगढ़ के स्वप्न दृष्टा, समृद्ध छत्तीसगढ़ को अपना दृढ़ संकल्प बनाने वाले, महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और साहित्यकार, राजनेता डॉ. खूबचंद बघेल पेशे से चिकित्सक थे। छत्तीसगढ़ राज्य का प्रथम स्वप्न दृष्टा के नाम से जाने जाने वाले डॉ. खूबचंद बघेल छत्तीसगढ़ के महान सपूतों में से एक है। वे छत्तीसगढ़ के स्वप्न दृष्टा ही नहीं; बल्कि समृद्ध छत्तीसगढ़ को अपना दृढ़ संकल्प बनाने वाले, महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और साहित्यकार, राजनेता, समाज सुधारक थे। डॉ. खूबचंद बघेल हमेशा कृषि और कृषकों की उन्नति के लिए हमेशा प्रयासरत रहे। उन्होंने छत्तीसगढ़ के अनेक आदिवासी व किसान आंदोलनों का नेतृत्व किया। उन्होंने कृषि को उद्योग के समकक्ष विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए। डॉ. बघेल का उद्देश्य महज राजनीति करना नहीं था, बल्कि राजनीति के माध्यम से छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान को जगाना था। वे हमेशा समाज को शोषण, अन्याय व दमन से बचाने जुटे रहे। डॉ. खूबचंद बघेल का छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। डॉ. खूबचंद बघेल जब छत्तीसगढ़िया लोगों के अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे थे, तब उनकी आवाज पूरे भारत और पूरी दुनिया में ठीक छत्तीसगढ़िया लोगों की तरह उनकी आवाजों का समर्थन करते थे। उनके लिए छत्तीसगढ़ राज्य का अर्थ केवल राजनीतिक सत्ता प्राप्त कर लेना भर नहीं था, बल्कि शोषण से मुक्ति और सम्मानित जीवन के लक्ष्य को हासिल करना भी था। डॉ. खूबचंद बघेल की भावना के मूल में क्षेत्रीयता से कहीं अधिक राष्ट्रीयता पूरी प्रबलता के साथ समाहित थी। उन्होंने समाज में व्याप्त अनेक बुराइयों को दूर करने के लिए अनेक कदम उठाए। समाज में व्याप्त छुआछूत, ऊंच-नीच तथा जाति प्रथा की कुरीतियों को दूर करने का भरसक प्रयास किए। उन्होंने सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए अनेक नाटकों का मंचन भी किए।

*क्यों कूर्मि समाज की भावना आहत है?*
डॉ. खूबचंद बघेल कूर्मि समाज के राष्ट्रीय स्तर के नेता रहे है और समाज में व्याप्त रूढ़िवादी परंपरा को परिष्कृत करने एवं विकसीत समाज बनाने की दिशा में उनका प्रमुख योगदान रहा है। डॉ. खूबचंद बघेल छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना के स्वप्नदृष्टा ही नहीं बल्कि वे स्वतंत्रतता संग्राम सेनानी, समाज सुधारक, राजनेता तथा छत्तीसगढ़ राज्य अस्मिता व स्वाभिमान के प्रतीक भी रहे है। वर्तमान साय सरकार द्वारा डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के नाम से संचालित योजना की बिना समीक्षा किए केवल नाम परिवर्तन शहीद वीर नारायण सिंह स्वास्थ्य बीमा योजना कर योजना को यथावत क्रियान्वयन किया जा रहा है। राज्य सरकार के इस कृत्य से छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवं परंपरा पर गहरा कुठाराघात हुआ है। दोनों महापुरूष छत्तीसगढ़ के पुरोधा रहे है। अतः एक महापुरूष का नाम विलोपित कर दूसरे महापुरूष का नाम प्रतिस्थापित करना छत्तीसगढ़ के संस्कृति नहीं है। इसलिए पूरे छत्तीसगढ़िया समाज में आक्रोश है।

*छत्तीसगढ़ में कूर्मि समाज के क्या है मायने?*
छत्तीसगढ़ प्रदेश के 20577 गॉवों में से 4209 गॉवों में कूर्मियों की अब तक 30 चिन्हांकित उपजातियॉ निवास करती हैं। प्रदेश में कूर्मि समाज बहुतायत रूप से छत्तीसगढ़ का कटोरा क्षेत्र यानी मैदानी व खारुन, शिवनाथ, महानदी एवं सहायक नदियों के आस – पास है। छत्तीसगढ़ की वर्तमान जनसंख्या 3.06 करोड़ में से लगभग 1.44 करोड़ अन्य पिछडा वर्ग की आबादी है। राज्य में कूर्मि समुदाय की लगभग 55.56 लाख जनसंख्या है; जो कि राज्य के कुल जनसंख्या का 18.12 प्रतिशत है। कूर्मियों का मुख्य व्यवसाय खेती है; जो बिलासपुर, रायपुर और दुर्ग संभाग के मैदानी भाग में मुख्यतः नदी किनारे सघन जनसंख्या के रूप में हैं और सरगुजा संभाग में विरल जनसंख्या है। छत्तीसगढ़ में ग्रामों के अलावा भी प्रायः सभी प्रमुख नगरों में कूर्मियों की अच्छी आबादी है, जहाँ वे नौकरी या व्यवसाय के लिए बसे हैं। छत्तीसगढ़ के कूर्मि समुदाय ने श्री रमेश बैस, राज्यपाल महाराष्ट्र, श्री भूपेश बघेल, पूर्व मुख्यमंत्री, श्री धरमलाल कौशिक, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सहित अनेक मंत्री, सांसद व विधायक दिए है। इसी प्रकार कूर्मि समाज की शासन-प्रशासन के साथ उद्योग व व्यवसाय तथा कृषि में महत्वपूर्ण योगदान है। इसके अलावा शिक्षा,साहित्य, कला, संस्कृति में कूर्मियों का महत्वपूर्ण योगदान व स्थान रहा है।

अब देखना होगा कि नाम परिवर्तन की राजनीति देश और प्रदेश को कहॉ तक ले जावेगा तथा समाज को बांटने की प्रथा से हम देश को विकसित राष्ट्र कैसे बना पाएंगे?

*डॉ. जीतेंद्र सिंगरौल*
राष्ट्रीय प्रवक्ता- अखिल भारतीय कूर्मि महासभा
राष्ट्रीय संयोजक, कूर्मि चेतना पञ्चांग
उच्चाधिकार समिति सदस्य- छत्तीसगढ़ प्रदेश कूर्मि समाज, रायपुर
पूर्व प्रदेश महासचिव,-छत्तीसगढ़ कूर्मि चेतना मंच, बिलासपुर
राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता- भारत सरकार 2007-08

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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