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July 1, 2025 2:50 pm

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राजनीति के बेदाग बादशाह और गरीबों के मसीहा थे ..बाबू बिसाहू दास महंत

  • (46वीं पुण्य तिथि पर विशेष आलेख)
    वे कर्मठ थे,अपने दम पर पीछे से सतत आगे बढ़े, अपनी मेहनत ,लगन से वे पढ़ाई लिखाई करते हुए खेल तथा देश और समाज सेवा के लिए सतत आगे बढ़े,अपने कर्मो को गीता, भागवत,पुराण,तथा रामचरित मानस और कबीर से संजोकर वे सतत आगे बढ़े,और उन्हें सफलता भी मिली,, अपने पढ़ाई जीवन शासकीय बहुद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिलासपुर से उन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा पास कर उच्च शिक्षा के लिए नागपुर में बी ए, एल एल बी की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की।उस समय मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़,की राजधानी सी पी बरार नागपुर था,जहां से छत्तीसगढ़ की राजनीति संचालित होती रही।1956में मध्यप्रदेश का गठन हुवा और लोगों के आग्रह,निवेदन पर अपनी शिक्षकीय कार्य को छोड़कर महंत जी को राजनीति में आना पड़ा,वे लगातार 5 विधान सभा जीतते गए,कभी उन्हें पराजय का मुख नहीं देखना पड़ा। विधानसभा चुनाव का एक दौर ऐसा भी आया जा उनका स्वास्थ्य खराब हो गयां,प्रचार में वे जा नहीं सके ऐसी स्थिति में लोकतंत्र के त्योहार में उन्हें विजय श्री हाशिल हुवा,ऐसे थे जन जन के नेता बाबू बिसाहू दास महंत।
व्यक्तित्व की सच्ची परख लोकतंत्र से भी देखा जा सकता है,खासकर राजनीति के संदर्भों में।सच्ची निष्ठा,कबीर का प्रेम,हनुमान का उद्यम युक्त साहस को आत्मसात कर बाबू बिसाहू दास जी सतत आगे बढ़े,दलित,शोषित के मसीहा बनकर वे आगे निकले।
राजनीति के गलियारों में,गांव,गरीब,और गलियों से निकलकर अपनी पहचान,देश और राज्य में बनाया।सत्यनवेशी मार्ग को अपने जीवन का सिद्धांत बनाया।कबीर की ढाई आखर प्रेम को उन्होंने अपने जीवन में उतारा।महंत बिसाहू दास जी के लिए अर्जुन सिंह जी ने कहा था”महंत जी किसी पद के लिए नहीं बने थे,बहुत से पद महंत जी के कारण सुशोभित होते थे।”
सन 1952से लगातार 1977तक 6.6बार वे विधानसभा चुनाव में प्रचण्ड बहुमत से जीतते रहे। मोतीलाल बोरा जी ने कहा था”महंत जी अपने बुध्दि का प्रयोग मानव सेवा के लिए किए, विशेष कर पीड़ितों के लिए।”
बागों डेम, की परिकल्पना महंत जी की ही थी,जिससे आज ऊर्जा के साथ,जांजगीर जिले में 80 प्रतिशत खेती हो रही है। कोसा कांसा और कंचन के लिए छत्तीसगढ़ के चांपा को देश विदेश में पहचान महंत जी के द्वारा ही मिल सका। मध्यप्रदेश की राजनीति में वे कई कई विभागों के कैबिनेट मंत्री रहे,तब छत्तीसगढ़ के जन सामान्य को खासकर उनके क्षेत्र के गरीब शोषित लोगों के कोई भी शासकीय कार्य के लिए आने जाने रहने खाने पीने तक का बंदोबस्त महंत जी करा देते थे,आज भी मुझे लोगों से,बड़े बुजुर्गों के मुंह से सुनकर यह खुशी होती है,ऐसे अब की राजनीति में लोग कहां मिलते हैं।उनका परिवार आज उनके नक्शे कदम पर चलकर देश और राज्य की राजनीति में अपनी पहचान कबीर के प्रेम की भावना को जीवन शैली का अंग बनाकर कर रहा है यह गर्व का विषय है।”मानव कल्याण सेवा समिति”के माध्यम से जरूरत मंद लोगों की सेवा बाबूजी के नाम पर संस्था के माध्यम से भी किया जाता है।
महंत बिसाहू दास जी ने कबीर पंथ की पद्धति से दीक्षा,बिलासपुर के धनिया ग्राम से श्री कशीदास जी महंत से दीक्षा प्राप्त की थी।कशीदास जी कबीर के सिद्धांत पर चलने वाले थे,उन्होंने ने महंत ,मानिकपुरी समाज को एक कर रखा था,छोटा मोटा सामाजिक प्रकरण का निबटारा समिति के माध्यम से हो जाता था,समाज को नेक सलाह बाबू जी भी देते थे।मुझे याद है जब वे पाली क्षेत्र में गुंजन नाला के पुल के भूमि पूजन को आय थे तब मैं 11वर्ष का था, 5वी कक्षा के इस विद्यार्थी को मेरे पिताजी ने उनकी समाज सेवा,प्रेम,की भावना से प्रेरित होकर दिखाने ले गए थे,लगभग 50एंबेसडर कार में उनके साथ दिग्गज नेता आए थे,उनको मैने कुदाल लेकर जमीन पर 5गैंती चलाते देखा तथा इस बालक पन से प्रेरणा लिया,आज मै उनकी प्रेरणा,आशीष से प्रोफेसर पद पर हूं,यह मेरे लिए याद गार है।
                                प्रो. फूलदास महंत
रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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