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October 14, 2025 10:15 pm

पाक्सो एक्ट के आरोपी की अपील हाईकोर्ट ने की खारिज

बिलासपुर। हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपयर्न फैसले में कहा कि एक अभियुक्त पीड़िता के बयान में मामूली विसंगतियों का लाभ नहीं ले सकता। जब चिकित्सा और फोरेंसिक साक्ष्य अभियोजन पक्ष के मामले की पुष्टि करते हैं, खासकर जहां पीड़िता का बयान पूरी तरह से सुसंगत रहा है और विश्वास दिलाता है।
उसका साक्ष्य ‘उत्कृष्ट गवाह’ की श्रेणी में आता है। इस आशय का निर्देश देते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व बीडी गुरु की बेंच ने पाक्सो एक्ट के आरोपी युवक को मिली सजा बरकरार रखते हुए उसकी अपील खारिज कर दी।
11 वर्षीय पीड़िता के पिता ने सरायपाली थाने में अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई थी, जो दोपहर में अपने घर के सामने खेलती हुई नदारद हुई थी। बाद में पुलिस ने पतासाजी करते हुए ग्राम सॉपंधी, थाना सरायपाली, जिला महासमुंद निवासी शनि कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इस प्रकरण में विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो अधिनियम, 2012) सरायपाली, जिला महासमुंद, छत्तीसगढ़ ने 13. मई 2022 को दोषसिद्धि और सजा का आदेश दिया था। अपराध को साबित करने के लिए, अभियोजन पक्ष ने 16 गवाहों से पूछताछ की और अपने समर्थन में 28 दस्तावेज प्रस्तुत किए थे। इस निर्णय के विरुद्ध अपीलकर्ता ने हाईकोर्ट में अपील की। न्यायालय पीड़िता पर बिना किसी और पुष्टि के उत्कृष्ट गवाह के रूप में भरोसा कर सकता है, बशर्ते कि उसकी गुणवत्ता और विश्वसनीयता असाधारण रूप से उच्च हो।
कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में, विशेष रूप से पीड़िता की गवाही से स्पष्ट है कि वह शुरू से अंत तक अपने रुख पर अडिग रही है। पीड़िता ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अपीलकर्ता उसे जबरन बागोड़ा ले गया, उसे बंधक बनाया और बार-बार यौन उत्पीड़न किया। सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत उसका बयान इन तथ्यों की पुष्टि करता है, जिसमें उसके अपहरण, बंधक बनाने और बार-बार यौन उत्पीड़न का विवरण शामिल है। चिकित्सा साक्ष्य और एफएसएल रिपोर्ट उसके बयान को और पुष्ट करते हैं, जिसमें जबरन यौन संबंध बनाने के संकेत हैं। ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह बताए कि पीड़िता के पास अपीलकर्ता को झूठा फंसाने का कोई मकसद था। पीड़िता के सुसंगत और विश्वसनीय विवरण, जो चिकित्सा और फोरेंसिक साक्ष्यों द्वारा समर्थित है, इसे ध्यान में रखते हुए, अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि निर्णय की एक प्रति संबंधित जेल अधीक्षक को भेजे जहां अपीलकर्ता जेल की सजा काट रहा है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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