रायपुर। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ईओडब्ल्यू और एंटी करप्शन एसीबी के अधिकारियों पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर न्यायालय को गुमराह करने का गंभीर आरोप लगाया गया है। इस संबंध में अधिवक्ता गिरिश चंद्र देवांगन ने उच्च न्यायालय के सतर्कता विभाग को शिकायत दर्ज कराई है और रायपुर की एक स्थानीय अदालत में दांडिक परिवाद क्रिमिनल कंप्लेंट प्रस्तुत किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अपराध क्रमांक 02/2024 और 03/2024 के तहत विवेचना के दौरान निखिल चंद्राकर का बयान धारा 164 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत दर्ज कराए जाने का दावा किया गया था। हालांकि, जांच में यह तथ्य सामने आया कि उक्त बयान वास्तव में न्यायालय में दर्ज ही नहीं कराया गया, बल्कि विवेचकों ने अपने कार्यालय के कंप्यूटर पर दस्तावेज तैयार कर उसे पेन ड्राइव के माध्यम से न्यायालय में प्रस्तुत किया।
सूत्रों के अनुसार न्यायालय के कंप्यूटर से उस दस्तावेज का प्रिंटआउट लेकर उसे असली बयान के रूप में उच्चतम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। फोरेंसिक परीक्षण में भी यह पाया गया कि विवेचकों द्वारा तैयार दस्तावेज में प्रयुक्त फ़ॉन्ट न्यायालय की प्रमाणित प्रतियों में प्रयुक्त फ़ॉन्ट से भिन्न था, और दस्तावेज में मिश्रित फॉन्ट का उपयोग किया गया था।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि विवेचकों ने न्यायिक प्रक्रिया के दौरान झूठे दस्तावेज तैयार कर प्रस्तुत किए ताकि विवेचना को गंभीर दिखाया जा सके और निर्दोष व्यक्तियों को झूठे मामले में फंसाया जा सके।
अधिवक्ता देवांगन द्वारा दायर परिवाद पर न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, रायपुर की पीठासीन अधिकारी आकांक्षा बेक ने संज्ञान लेते हुए ईओडब्ल्यू/एसीबी के निदेशक अमरेश मिश्रा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चंद्रेश ठाकुर और उप पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। अदालत ने तीनों अधिकारियों को 25 अक्टूबर 2025 को उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

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