बिलासपुर। हाईकोर्ट ने भ्रष्ट्राचार से अर्जित रकम को ठिकाने लगाने में अपने आईएएस अधिकारी भाई का सहयोग करने के आरोपी और भाई की याचिका यह कहते हुए खारिज की है कि, उपलब्ध दस्तावेज में पर्याप्त साक्ष्य हैं। कोर्ट ने संबंधित अदालत को मामले में जल्द से जल्द निणर्य करने का निर्देश दिया है।
आयकर विभाग ने आईएएस अधिकारी बीएल अग्रवाल के निवास, कार्यालय एवं अन्य जगह पर छापामार कार्रवाई कर आयकर भुगतान नहीं करने का प्रकरण बनाया था। अग्रवाल ने अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपील प्रस्तुत की। मामले में अधिकारी की रकम को इधर उधर करने में उसके भाई पवन अग्रवाल की महत्वपूर्ण भूमिका थी। अधिकारी के भाई पवन के बैंक ऑफ बड़ौदा के लॉकर में 15 लाख रुपए जब्त किए गए थे। आयकर विभाग के आवेदन पर सीबीआई ने मामले की जांच की, जांच में पाया गया कि उक्त लाकर वर्ष 2000 में रामेश्वर दास गोयल एवं बीएल अग्रवाल के संयुक्त खाते में खोला गया था। गोयल की दिसंबर 2005 को मौत हो गई। लॉकरधारक की मौत की सूचना बैंक को नहीं दी गई, इसके अलावा 2009 में रामेश्वर दास गोयल के फर्जी हस्ताक्षर एवं बैंक दस्तावेज में हेराफेरी कर लॉकर का संचालन किया गया।
सीबीआई ने मामले में अपराध दर्ज कर स्पेशल जज सीबीआई रायपुर की अदालत में चलान पेश किया। अदालत ने इस पर पवन अग्रवाल को आरोप पत्र जारी किया। इसके खिलाफ उसने दो अलग अलग याचिका पेश की, एक में कार्रवाई की वैधता को चुनौती दी गई एवं दूसरे में स्पेशल कोर्ट के आदेश को निरस्त करने की मांग की गई। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट ने दोनों ही मामलों में एक साथ सुनवाई कर निर्णय पारित किया।

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