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October 23, 2025 10:22 pm

गौ तस्करों से मुकाबला करने वाली बहादुर एसडीओपी नूपुर उपाध्याय को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया सम्मानित

बिलासपुर ।छत्तीसगढ़ की धरती पर बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा का एक अनोखा उदाहरण पेश किया है एसडीओपी नूपुर उपाध्याय ने।जिले के कोटा क्षेत्र में एसडीओपी के पद पर पदस्थ नूपुर उपाध्याय ने हाल ही में ऐसा साहसिक कदम उठाया जिसने न सिर्फ पुलिस प्रशासन की छवि को और मजबूत किया बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि कानून और न्याय से बड़ा कोई नहीं।

कर्तव्य से बड़ा कुछ नहीं

जिले के कोटा क्षेत्र में पदस्थ एसडीओपी नूपुर उपाध्याय को जैसे ही गौ तस्करी की सूचना मिली उन्होंने बिना वक्त गंवाए अपनी टीम को तैयार किया। पीछा आसान नहीं था रात का सन्नाटा था। सड़क पर धूल उड़ाती तेज़ रफ्तार गाड़ियाँ दौड़ रही थीं। एक ओर गौ तस्कर थे जो पुलिस के शिकंजे से बच निकलने की हर संभव कोशिश कर रहे थे। दूसरी ओर थी कोटा क्षेत्र की एसडीओपी नूपुर उपाध्याय जिनकी आँखों में केवल कर्तव्य का प्रकाश था।रास्ता लंबा खतरे बड़े और सामने चालाक अपराधी लेकिन नूपुर ने हार नहीं मानी।उन्होंने न केवल गौवंश को तस्करों से छुड़ाया बल्कि तस्करों को भी कानून के शिकंजे में ला खड़ा किया। यह सिर्फ़ एक कार्रवाई नहीं थी बल्कि कर्तव्य और साहस का ऐसा संगम था जिसने समाज को नया संदेश दिया।

एक बेटी की बहादुरी पर गर्व

कोटा क्षेत्र के गांव-गांव में आज लोग नूपुर उपाध्याय का नाम गर्व से लेते हैं।इस बारे में जब गांव के सियान मन से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि गौ माता को बचाने के लिए जिस जज़्बे से हमारी बिटिया ने खतरा उठाया वो काबिले-तारीफ़ है।

ग्रामीणों ने इस दौरान बिलासपुर एसएसपी रजनेश सिंह का ही नहीं बल्कि एएसपी ग्रामीण अर्चना झा का भी जिक्र करते हुए कहा कि सियान चेतना अभियान में कैसे पुलिस ने उनका सम्मान किया और उनका हौसला बढ़ाया ।

सम्मान और प्रेरणा

कोटा एसडीओपी नूपुर की यह बहादुरी केवल पुलिस महकमे के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा है।उनके इस साहसिक कदम की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई दी। हाल ही में राजधानी रायपुर में आयोजित एक गरिमामय समारोह में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्वयं मंच पर बुलाकर एसडीओपी नूपुर उपाध्याय को सम्मानित किया। जब तालियों की गड़गड़ाहट गूँजी तो यह केवल एक अधिकारी के सम्मान का पल नहीं था बल्कि महिला सशक्तिकरण और साहस का भी उत्सव था।

नूपुर – एक नई राह की मिसाल

नूपुर उपाध्याय ने यह साबित कर दिया है कि महिला होना कमजोरी नहीं बल्कि समाज को सही दिशा देने की ताकत है। उन्होंने दिखाया कि वर्दी पहनने वाली महिलाएँ केवल सजावट नहीं बल्कि संघर्ष की असली पहचान होती हैं।

आज नूपुर उपाध्याय का यह साहसिक कदम साबित करता है कि पुलिस सेवा में महिलाएँ केवल कंधों पर सितारे नहीं सजातीं बल्कि कर्तव्य और जिम्मेदारी को भी पूरी निष्ठा से निभाती हैं। आज वे हर उस बेटी के लिए प्रेरणा हैं, जो समाज में बदलाव लाने का सपना देखती है।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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