बिलासपुर। हाई कोर्ट ने पदोन्नति नियमों में संशोधन को चुनौती देने वाली एक याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि जनहित में बनाए गए वैधानिक नियमों को केवल इस आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता कि वे किसी व्यक्ति को कठिनाई पहुंचाते हैं। अदालत ने हाई कोर्ट के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए पदोन्नति नियमों में संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

याचिका छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के 15 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों (स्टाफ कार चालक, रिकार्ड आपूर्तिकर्ता और चपरासी) ने दायर की थी। उन्होंने 24 फरवरी, 2022 के उस नोटिस को चुनौती दी जिसमें सहायक ग्रेड-3 के 69 पदों पर पदोन्नति के लिए लिखित और कौशल परीक्षण अनिवार्य कर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि उनकी पदोन्नति पुराने सेवा नियमों (2003 और 2015) के अनुसार होनी चाहिए, जिनमें अनुभव और वरिष्ठता को प्राथमिकता दी गई थी। उनके अनुसार, 2017 में लागू किए गए नए नियमों ने लिखित और कौशल परीक्षण अनिवार्य करके उनकी पदोन्नति प्रक्रिया को अनुचित रूप से कठिन बना दिया। हाई कोर्ट ने माना कि नए नियम कोर्ट के कुशल संचालन के लिए आवश्यक हैं और उन्हें हटाना जनहित के खिलाफ होगा। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief