रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों गहमागहमी तेज हो गई है। प्रदेश में कांग्रेस के अंदर ही कांग्रेस को नकारने की स्थिति पैदा हो रही है। भाजपा के पूर्व एल्डरमैन मनीष अग्रवाल ने विश्लेषण किया है उनका मानना है कि पार्टी के अंदरूनी मतभेद अब खुलकर सामने आने लगे हैं।
हाल ही में हुए चुनावी नतीजों के बाद कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ईवीएम पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। जब पार्टी जीतती है, तो ईवीएम को सही ठहराया जाता है, लेकिन हार के बाद वही मशीनें सवालों के घेरे में आ जाती हैं। जनता अब यह पूछ रही है कि आखिर यह दोहरी राजनीति क्यों?

प्रदेश में “छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया” का नारा देने वाले नेताओं पर भी तंज कसते हुए सवाल उठ रहे हैं कि जब उन्हीं की पार्टी के कार्यकर्ता असली छत्तीसगढ़िया को नकारने लगें, तो क्या यह नारा महज एक राजनीतिक जुमला था? क्या वाकई असली छत्तीसगढ़िया का सम्मान किया जा रहा है या फिर यह सिर्फ सत्ता के लिए एक भावनात्मक खेल था?
राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा है कि आने वाले समय में पार्टी में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। असंतोष के स्वर मुखर होते जा रहे हैं, और यदि इन्हें नजरअंदाज किया गया तो कांग्रेस के लिए आगे की राह मुश्किल हो सकती है।
इस बीच, राज्य की जनता भी अपने फैसले से स्पष्ट संदेश दे चुकी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस इस संदेश को कितनी गंभीरता से लेती है और अपने अंदरूनी मतभेदों को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाती है।

भाजपा के पूर्व एल्डरमैन मनीष अग्रवाल का विश्लेषण छत्तीसगढ़ की वर्तमान राजनीतिक स्थिति को लेकर काफी तीखा और स्पष्ट नजर आ रहा है। हाल ही में हुए चुनाव परिणामों ने यह दिखा दिया कि जनता ने कांग्रेस की सरकार को नकार दिया और भारतीय जनता पार्टी को भारी समर्थन दिया।
भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार:
जनता ने बदलाव की बयार को अपनाया और “कांग्रेस मुक्त छत्तीसगढ़” का नारा अब धीरे-धीरे हकीकत बनता दिख रहा है। भाजपा सरकार ने सेवा, सुशासन और विकास के वादों के साथ जनादेश हासिल किया है। पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में भी भाजपा की जीत इस बात का संकेत है कि जनता की नज़र में कांग्रेस अपनी साख खो चुकी थी।
भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन:
आपने गोबर घोटाले, जमीन घोटाले और अन्य भ्रष्टाचार के मामलों का जिक्र किया, जो कांग्रेस शासन में लगातार सुर्खियों में रहे। कांग्रेस की कथित नीतियों ने आम जनता को परेशान किया, जिसके चलते उन्हें सत्ता से हाथ धोना पड़ा।
युवा पत्रकार की हत्या:
हाल ही में हुए इस मामले ने राजनीतिक हलचल को और तेज कर दिया। अगर इसमें कांग्रेस के किसी पदाधिकारी या सरकार से जुड़े किसी नेता का हाथ है, तो यह बड़ा मुद्दा बन सकता है। कानून व्यवस्था को लेकर पहले से सवालों में घिरी कांग्रेस के लिए यह एक और बड़ा झटका साबित हो सकता है।
कांग्रेस में फूट और क्षेत्रीय दल की संभावना:
जिस तरह से अजीत जोगी ने एक नई पार्टी बनाई थी, अब वैसी ही संभावनाएं कांग्रेस के अंदर भी दिख रही हैं। यदि बड़े नेता कांग्रेस से अलग होकर क्षेत्रीय दल का गठन करते हैं, तो यह छत्तीसगढ़ की राजनीति में बड़ा मोड़ ला सकता है।
भविष्य की राजनीति:
होली के बाद कांग्रेस में बड़े बदलाव की बातें सामने आ रही हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस स्थिति से उभर पाती है या वाकई में प्रदेश में कोई नया क्षेत्रीय दल आकार लेता है।आगे-आगे देखिए होता है क्या!

Author: Ravi Shukla
Editor in chief