बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि हमें न्यायपालिका को आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रखना होगा। इसके लिए हमें निरंतर सीखना होगा और तकनीकी को अपनाना होगा। फॉरेंसिक साइंस परिस्थितिजन्य साक्ष्य के बारे में हमारी समझ को पूरी तरीके से बदल रहा है और यह अत्यंत सटीक विधि के रूप में उभर रहा है। जिसका सावधानीपूर्वक उपयोग व उचित ज्ञान आवश्यक है।
डिजिटल साक्ष्य की पेचीदिगियों को समझना आवश्यक है, ताकि इस प्रकार के साक्ष्यों का न्यायोचित व निष्पक्ष आंकलन किया जा सके। बिलासपुर के न्यू सर्किट हाउस सभागार में शनिवार को बिलासपुर संभाग के बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, मुंगेली, जांजगीर-चांपा जिले के न्यायिक अधिकारियों के लिए डिवीजनल सेमीनार का आयोजन किया गया।

चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें न्यायपालिका को सुदृढ बनाए रखने के लिए व समय के साथ चलने के लिए आवश्यक विधिक परिवर्तनों को अपनाने के लिए तत्पर रहना पड़ेगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों के लिए इस सेमीनार में अत्यंत महत्वपूर्ण विषय रखे गए हैं। यह न्यायिक अधिकारियों के लिए एक सुनहरा अवसर है कि वह आधुनिक विधिक अवधारणाओं, डीएनए फॉरेंसिक साइंस व डिजिटल युग में इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को गहराई से समझें। एक न्यायाधीश अपने वस्त्र व वाह्य आवरण से परिभाषित नहीं होता है बल्कि उसकी गहन बुद्धिमत्ता व निर्णय की सटीकता ही उसकी वास्तविक पहचान होती है।
जस्टिस सिन्हा ने संसाधनों की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि छत्तीसगढ में न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षण व अत्याधुनिक संसाधनों व उन्नत तकनीकी से सुसज्जित किया जा रहा है। न्यायिक अधिकारियों को आधुनिक लीगल डेटा बेस, आइपेड व लेपटाप जैसी सुविधाएं प्रदान की गई है। ऐसी दशा में न्यायिक अधिकारियों से यह अपेक्षा है कि इन संसाधनों का उपयोग कर लंबित मामलों को तेजी से निराकृत करें और चीफ जस्टिस ने कहा कि, हमें न्यायपालिका को आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रखना होगा। इसके लिए हमें निरंतर सीखना होगा और तकनीकी को अपनाना होगा। न्याय केवल किया ही नहीं जाना चाहिए बल्कि न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief