बिलासपुर। तलाक के एक मामले में बच्चों की माता-पिता से बढ़ती दूरी ने बेंच को भी असहज कर दिया। डिवीजन बेंच ने प्रत्येक रविवार को दोनों बच्चों को माता-पिता से साथ-साथ मिलाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी हिदायत दी है कि उस वक्त दोनों बच्चे और माता-पिता के अलावा और कोई ना हो।
पति-पत्नी के बीच मनमुटाव व दुराव होने के कारण कोर्ट में तलाक की अर्जी पर सुनवाई हो रही है। मामले की सुनवाई शुक्रवार जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट के निर्देश पर दोनों बच्चों को भी लाया गया था। पापा व दादा-दादी के साथ रहने वाला बेटा अपनी मां को नहीं पहचान पाया। मां अपने साथ बेटी को लेकर आई थी। बेटा को देखते ही जब मां ने हाथ फैलाकर उसे बुलाया तो वह जाने से इंकार कर दिया। यह सब जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने देखा। बच्चों की मम्मी-पापा से बढ़ती दूरी की चिंता कोर्ट ने भी की। कोर्ट ने रविवार को चार घंटे बेटे को मां से मिलाने के निर्देश पिता को दिया है। इस दौरान पिता अपनी बेटी से मिल सकेगा। मामले की अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने 10 मार्च की तिथि तय कर दी है।

रायपुर जिले में रहने वाले युवक की शादी राजधानी के समीप गांव की निवासी युवती से हुई है। शादी के बाद पति सऊदी अरब चला गया। बीच में वह आना-जाना करता था। इस बीच उनके दो बच्चे हुए। कुछ समय बाद विवाद की स्थिति बनने से पत्नी अपनी बेटी के साथ मायके में रहने लगी। बेटा दादा-दादी के साथ रहने लगा। तलाक के मामले की हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में सुनवाई चल रही है। बीते सुनवाई के दौरान बच्चों के हित और भविष्य को ध्यान में रखते हुए पिता को उसे साथ लेकर आने के निर्देश दिए थे। गुरुवार को पिता अपने बेटे के साथ कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने बेटे से पूछा कि वह अपनी मां के साथ रहना चाहता है? लेकिन सात साल के बच्चे ने मां को नहीं पहचाना।

Author: Ravi Shukla
Editor in chief