Explore

Search

July 1, 2025 11:30 am

R.O.NO.-13250/14

Advertisement Carousel

हे ईश्वर! बहू ने जिद में की थी आत्महत्या लेकिन सास के माथे पर लगे हत्या के कलंक को धुलने में 24 बरस लग गए,निचली अदालत ने तो सास ससुर को 10 साल की सजा भी सुना दी थी,3 साल पहले ससुर की मौत और अब हाईकोर्ट ने सास को दोषमुक्त किया


बिलासपुर।  कहते है बहु घर आएगी तो सास ससुर और पति की सेवा करेगी साथ ही वंश बढ़ाएगी लेकिन कभी कभी बहु का चयन करने में ऐसी गलती भी हो जाती है जिसका खामियाजा बहु के झूठे आरोपों के कारण वृद्ध सास ससुर को अपने को निर्दोष साबित करने वर्षों कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं  यह तकलीफ तब और असहनीय हो जाता है जब निचली अदालत द्वारा बुजुर्ग दंपति को हत्या और दहेज के मामले में दस वर्ष की सजा सुना दी जाए और मुकदमा के चलते रहने के दौरान ही वृद्ध ससुर का इंतकाल हो जाए ।करीब 24 साल बाद बुजुर्ग सास को हाईकोर्ट द्वारा सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिए जाने के बाद बड़ा  सवाल यह है कि आरोपों के चलते सास ससुर ने 20 साल जो मानसिक यातनाएं झेली है उसकी भरपाई कौन करेगा? बुजुर्ग दंपति ढलती उम्र में एक दूसरे के लिए सर्वाधिक समर्पित रहते है भले ही कुछेक मामलों में बेटे और बहुएं उनकी सेवा के लिए समर्पित रहते हों और यदि मानसिक प्रताड़ना के ही दौर में ही वृद्ध पति संसार से बिदा ले ले तो उस असहाय वृद्धा का क्या होगा जो कोर्ट से अकेले न्याय पाने के लिए मजबूर हो जाए ।हाईकोर्ट के एक फैसले ने ऐसे ही एक वृद्ध महिला को दोष मुक्त किया है जिस पर 24 साल पहले पुलिस ने हत्या और दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया था ।

 दरअसल 24 साल पहले एक नवब्याहता ने   राखी के लिए  पति द्वारा मायके नहीं छोड़ने से नाराज हो  14 अगस्त 2001 को ट्रेन के कटकर जान दे दी थी लेकिन उसने लिखे पत्र में जो बातें कही थी उसके चलते पुलिस ने उसके सास ससुर को हत्या और दहेज प्रताड़ना के केस में गिरफ्तार कर लिया । मृतका बहु ने पत्र में लिख छोड़ा था कि सास और ससुर मेरे को रोज गाली देते है और कहते है कि तुम्हारे मा बाप की गलती की सजा अब तुम भुगतोगे। मैं जब से इस घर में आई हूं तब से आज तक मुझे इन लोगों ने गाली ही दी है। कल मेरे बाबा ने हाथ पैर छूकर माफी मांगी तो भी से इन लोगों का गुस्सा नहीं उतरा। इस लिए मैं यह कदम उठाने पर मजबूर हूं। अगर आप लोगों में से किसी को मेरी लाश मिल जाए तो कृपा करके मेरे घर वालों को दे दीजियेगा।   इस पत्र के आधार पर पुलिस ने बुजुर्ग सास-ससुर के विरुद्ध दहेज हत्या का अपराध पंजीबद्ध कर अदालत में मुकदमा पेश कर दिया। विचारण न्यायालय ने अप्रैल 2002 में दोनों को धारा 304 बी दहेज हत्या के आरोप में 10 वर्ष व दहेज प्रताड़ना के आरोप में सजा सुनाई। इसके खिलाफ पति पत्नी ने हाई कोर्ट में अपील पेश की। 24 वर्ष बाद हाई कोर्ट से अपील पर निर्णय आया। हाई कोर्ट ने गवाह दस्तावेज व मृतका के माता पिता के बयान में यह पाया कि अपीलकर्ता ने कभी भी दहेज की मांग नहीं की है। मृतका जिद्दी स्वभाव अपनी मनमर्जी करने वाली थी। हाई कोर्ट ने बुजुर्ग सास को सभी आरोप से दोषमुक्त किया है। दहेज की मांग कर बहू की हत्या करने सास के  माथे पर लगा कलंक 24 वर्ष बाद धूल गया है।मुकदमा लंबित रहने के दौरान ससुर की 2021 में मौत हो गई। हाई कोर्ट ने उनका नाम अपील से डिलीट किया है।

शादी के 6 माह बाद ही बहु ने  दे दी थी जान

राजधानी रायपुर के  निवासी अपीलकर्ता श्रीमती शोभा व सुधाकर राव के पुत्र सतीश की 16 जनवरी 2001 को मृतका कामिनी के साथ दोनों पक्षों की उपस्थिति में शादी हुई थी। शादी के 6 माह बाद ही कामिनी ने  14 अगस्त 2001 को टाटानगर-नागपुर पैसेंजर के सामने कूद कर जान दे दी थी।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.13_4c6b1664
WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.13_6350de1c
WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.13_6dc79aad
WhatsApp Image 2025-06-30 at 22.08.13_fe49f8b4
CRIME NEWS

BILASPUR NEWS