बिलासपुर।हाई कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत डॉक्टरों की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में दी जा रही सेवा को अनुसूचित क्षेत्र सेवा नहीं माना जाएगा और इसलिए स्नातकोत्तर प्रवेश में बोनस अंक का लाभ नहीं दिया जा सकता।
अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत डॉक्टरों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में बताया कि वे सरकारी मेडिकल कॉलेजों में जूनियर रेजिडेंट और डेमोंस्ट्रेटर के रूप में कार्यरत हैं। ये मेडिकल कॉलेज अनुसूचित क्षेत्रों में स्थित है, इसलिए उन्हें हर वर्ष की सेवा पर 3 प्रतिशत बोनस अंक दिया जाना चाहिए। याचिका के अनुसार अधिकारियों ने उनके सेवा प्रमाण पत्र में उनकी पोस्टिंग को गैर-अनुसूचित क्षेत्र सेवा के रूप में दर्ज किया है। राज्य सरकार ने बताया कि छत्तीसगढ़ ग्रामीण चिकित्सा कोर के तहत केवल जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही शामिल हैं, जबकि मेडिकल कॉलेज और उनके संबद्ध अस्पताल इसमें नहीं आते। मेडिकल कॉलेज इन श्रेणियों में नहीं आते, बल्कि इन्हें सामान्य श्रेणी माना गया है, इसलिए बोनस अंक देने का प्रश्न ही नहीं उठता। हाई कोर्ट ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों को पहले भी छत्तीसगढ़ ग्रामीण चिकित्सा कोर के दायरे से बाहर माना गया है। बोनस अंक की मांग वाली चिकित्सकों की याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
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