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November 19, 2025 5:17 pm

प्रेम विवाह पर समाज ने किया बहिष्कार, पारिवारिक कार्यक्रमों में भी रोक

नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत जुर्म दर्ज
बिलासपुर। प्रेम विवाह करने पर एक परिवार को समाज से बेदखल किए जाने का मामला सामने आया है। तारबाहर क्षेत्र के डीपूपारा निवासी रिटायर्ड अधिकारी कमल किशोर परवार (62) ने सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराई है कि उनके बड़े बेटे हितेश (35) द्वारा दूसरे समाज की युवती से प्रेम विवाह करने के बाद उन्हें और उनके परिवार को सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया गया है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

रिटायर्ड अधिकारी ने पुलिस को बताया कि बेटे के विवाह के बाद उन्होंने समाज के पदाधिकारियों को आवेदन देकर अपनी बहू को समाज में शामिल करने का अनुरोध किया था। इस संबंध में एक दिसंबर 2024 को व्यापार विहार में प्रांतीय पदाधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें उनकी बहू को समाज में शामिल करने पर सहमति बनी और कार्यक्रम की तिथि भी तय की गई। लेकिन निर्धारित तिथि से पहले दो बार कार्यक्रम निरस्त कर दिया गया। इसके बाद जिला स्तर के पदाधिकारियों और समाज के कई सदस्यों ने बैठक कर उन्हें समाज में शामिल करने का निर्णय लेकर कार्यक्रम भी आयोजित कर लिया। इसी दौरान प्रांतीय पदाधिकारियों ने पुनः बैठक कर परवार परिवार को समाज से पूरी तरह बाहर करने का निर्णय ले लिया। इतना ही नहीं, जिला स्तर के उन पदाधिकारियों और सामाजिक सदस्यों को भी समाज से निष्कासित कर दिया गया, जिन्होंने रिटायर्ड अधिकारी की बहू को समाज में शामिल करने का समर्थन किया था। परिवार का आरोप है कि इसके बाद समाज के लोग उन्हें किसी भी पारिवारिक, सामाजिक या धार्मिक कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं कर रहे हैं, जिससे वे सामाजिक रूप से अलग-थलग हो गए हैं और मानसिक रूप से परेशान हैं। पुलिस ने शिकायत के आधार पर समाज के पूर्व प्रांतीय पदाधिकारियों जेआर साकत, थानुराम बघेल, दशरथ साकत और वंशाधारी सांवरा के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया है। मामले की जांच सिविल लाइन पुलिस कर रही है।

50 हजार अर्थदंड और बकरा भात का नियम
कमल किशोर परवार ने बताया कि प्रांतीय पदाधिकारियों ने समाज में प्रेम विवाह करने वालों के लिए कठोर नियम लागू किए हैं। दूसरे समाज में विवाह करने वाले परिवार को समाज में दोबारा शामिल करने के लिए 50 हजार रुपये अर्थदंड और सामूहिक भोज ‘बकरा भात’ अनिवार्य कर दिया गया है। इस नियम से समाज के कई परिवार आर्थिक रूप से परेशान हैं। कई लोग जुर्माना भरने में असमर्थ होने के कारण वर्षों से समाज से बाहर चल रहे हैं।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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