बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस बीडी गुरु की डीबी ने मिशन अस्पताल मामले में लीज नवनीकरण नहीं किए जाने के खिलाफ पेश अपील को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि लीज का रिन्यूअल कोई ऑटोमेटिक या पक्का अधिकार नहीं है। यह एक विवेकाधीन प्रक्रिया है, जो किराएदार द्वारा मूल लीज की शर्तों का पूरी तरह पालन करने पर निर्भर करती है। कोर्ट ने कहा, जो किराएदार लगातार शर्तों का उल्लंघन करता पाया जाता है या कमर्शियल गलत इस्तेमाल करता है, वह रिन्यूअल के लिए न्यायसंगत विचार का दावा नहीं कर सकता। ऐसी परिस्थितियों में, रिट याचिकाकर्ताओं के पास लीज के रिन्यूअल की मांग करने या उसे लागू करने का अधिकार नहीं है। इस संबंध में क्रिश्चियन वूमेंस बोर्ड ऑफ मिशन के डायरेक्टर नितिन लॉरेंस, पिता हरबत लॉरेंस, निवासी लोधीपारा चौक, पंडरी, कपा अवंती चौक, रायपुर ने मिशन अस्पताल की जमीन लीज का नवनीकरण नहीं करने एवं हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा याचिका खारिज करने के खिलाफ डीबी में अपील पेश की थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस बीडी गुरू की डीबी में मामले की सुनवाई हुई। अपील में कहा गया कि, प्लॉट नंबर 20 और 21, शीट नंबर 14, चटापारा, बिलासपुर वाली जमीन छत्तीसगढ़ भूमि राजस्व संहिता, 1959 की धारा 158 (3) के तहत भूमिस्वामी के तौर पर याचिकाकर्ता क्रिश्चियन वूमेंस बोर्ड ऑफ़ मिशन को दी गई। राज्य सरकार ने असंवैधानिक कार्रवाई की है।
हाई कोर्ट ने आदेश में कहा अभिलेखों से पता चलता है कि 16.08.2024 को, तहसीलदार नजूल, बिलासपुर द्वारा कब्जाधारियों को एक नोटिस जारी किया गया था कि वे उक्त भूमि पर अनाधिकृत निर्माणों को हटा दें और सभी अवैध गतिविधियों को बंद कर दें। उक्त नोटिस के अनुसरण में, डॉ. रमन जोगी, जिन्होंने बोर्ड के निदेशकों में से एक होने और संपत्ति पर अधिकार होने का दावा किया था, ने स्वेच्छा से का कब्जा सरकार को सौंप दिया। इसके बाद, भूमि को राज्य द्वारा वैध रूप से वापस ले लिया गया है और अभी भी उसके कब्जे में है, भले ही पट्टेदार ने विलंब से नवीनीकरण की मांग की हो, लेकिन 27 वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी, बिना कोई आवेदन दायर किए, और इस दौरान पट्टे की शर्तों का लगातार उल्लंघन, सरकार के लिए पट्टे के नवीनीकरण के किसी भी अनुरोध को अस्वीकार करने का स्पष्ट आधार है। स्पष्ट है कि पट्टेदार न केवल समय पर नवीनीकरण की मांग करने में विफल रहा, बल्कि उसका आचरण भी उस उद्देश्य के विरुद्ध था जिसके लिए पट्टा प्रदान किया गया था। इसके अलावा 16 अगस्त 2024 को जारी नोटिस को याचिकाकर्ताओं ने किसी अन्य फोरम के सामने चुनौती नहीं दी है। इन हालात में, जब अपीलकर्ताओं ने न तो किसी वैलिड ट्रांसफर के जरिए प्रॉपर्टी में कोई अधिकार, टाइटल या इंटरेस्ट हासिल किया है और न ही ओरिजिनल अलॉटी को रिप्रेजेंट करने का कोई कानूनी अधिकार साबित किया है, तो लीज के रिन्यूअल या प्रोटेक्शन की उनकी मांग को सही नहीं ठहराया जा सकता।
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