बिलासपुर। कांग्रेस में संगठन सृजन का दौर चल रहा है। अब यह अंतिम पड़ाव पर जा पहुंचा है। दिल्ली में आला नेताओं के बीच शहर व जिला अध्यक्षों की ताजपोशी को लेजर मंथन का दौर चल रहा है। आब्जर्वर ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। आब्जर्वर की गोपनीय रिपोर्ट के बीच नामों को लेकर अटकलें लगनी शुरू हो गई।
बिलासपुर जिले की बात करें तो ओबीसी और सामान्य के बीच कुर्सी का बंटवारा होनी है। जिला ओबीसी के हिस्से गया तो शहर सामान्य वर्ग के लिए रखा जाएगा। प्रदेश और दिल्ली में बन रहे समीकरण पर नजर डालें तो जिला अध्यक्ष के लिए तीन गम्भीर दावेदार सामने आए हैं।
पीसीसी के पूर्व सचिव आशीष सिंह ठाकुर, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद नायक और राजेंद्र साहू डब्बू, शहर अध्यक्ष के दावेदारों में पूर्व विधायक शैलेष पांडेय, पीसीसी के पूर्व सचिव महेश दुबे, शिवा मिश्रा के नामों की चर्चा हो रही है। सियासी पकड़ और दिल्लीमे बन रहे कास्ट पॉलिटिक्स के हिसाब से पूर्व विधायक की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।
संगठन सृजन के दौर में खेमेबाजी की चर्चा भी जोर पकड़ने लगी है। कांग्रेसी दिग्गज भी इस बात से इनकार नहीं कर रहे हैं कि आब्जर्वर की रिपोर्ट ही मायने रखेगी। इस बात से ताल्लुक रखने वालों कमतर नहीं है, चर्चा इस बात की भी हो रही कि सृजन के बाद संगठन तो दिग्गज कांग्रेसी ही चलाएंगे। लिहाजा दिल्ली में इनकी पसंद को तव्वजो मिलेगी। दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल की नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत, पूर्व सीएम भूपेश बघेल, पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव व पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज से वन टू वन चर्चा की। दिल्ली में प्रादेशिक नेताओं से चर्चा के बाद अटकलें भी इसी अंदाज में तेज हो गई है।
राज्य के कुछ खास जिलों में जिन नामो की सबसे अधिक चर्चा हो रही है उस पर गौर करे तो रायपुर शहर से सुबोध हरितवाल, श्रीकुमार मेनन और दीपक मिश्रा के नाम की चर्चा चल रही है। सुबोध हरितवाल को सबसे मज़बूत दावेदार रूप में देखा जा रहा है।
रायपुर ग्रामीण ज़िला अध्यक्ष के लिए पप्पू बंजारे प्रवीण साहू और नागभूषण राव में प्रवीण साहू की स्थिति मज़बूत बताई जा रही है।
दुर्ग ग्रामीण में राकेश ठाकुर का नाम लगभग तय माना जा रहा है जबकि दुर्ग शहर में धीरज बाकलीवाल और आर.एन. वर्मा के बीच मुकाबला है ,सूत्रों के मुताबिक़ धीरज बाकलीवाल आगे हैं।
अंबिकापुर जिले में बालकृष्ण पाठक और शफी अहमद के नामों पर चर्चा है, जहाँ बालकृष्ण पाठक का पलड़ा भारी बताया जा रहा है।
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