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October 16, 2025 8:49 am

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: अपोलो हॉस्पिटल के चार डॉक्टरों को राहत, FIR और चार्जशीट रद्द

बिलासपुर।छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में अपोलो हॉस्पिटल बिलासपुर के चार डॉक्टरों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर और निचली अदालत में पेश चार्जशीट दोनों को निरस्त कर दिया है।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने डॉक्टरों की याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि उनके खिलाफ दर्ज मामला न्यायसंगत नहीं है।

7 साल पुराना मामला

वर्ष 2016 में दयालबंद निवासी एक युवक की अपोलो हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए सरकंडा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इस पर पुलिस ने डॉक्टर सुनील कुमार केडिया, देवेंद्र सिंह, राजीव लोचन भांजा और मनोज कुमार राय के खिलाफ धारा 304A गैरइरादतन हत्या और धारा 201 सबूत मिटाने के तहत केस दर्ज किया था।

मरीज की हालत पहले से गंभीर थी

डॉक्टरों की ओर से सीनियर एडवोकेट सुनील ओटवानी ने अदालत को बताया कि मरीज को 25 दिसंबर 2016 को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर के कारण 26 दिसंबर को उसकी मौत हो गई।

पोस्टमॉर्टम के बाद भेजी गई रासायनिक जांच रिपोर्ट में किसी भी जहरीले पदार्थ या सल्फास के अवशेष नहीं मिले थे।

मेडिकल बोर्ड ने दी थी क्लीन चिट

इस मामले की जांच सिम्स और बाद में राज्य मेडिकल बोर्ड ने की थी। कार्डियोलॉजिस्ट सहित पाँच विशेषज्ञों की इस टीम ने वर्ष 2023 में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि डॉक्टरों की ओर से किसी तरह की लापरवाही नहीं हुई।

विवादित रिपोर्ट के आधार पर दर्ज हुआ केस

बोर्ड की रिपोर्ट के बावजूद पुलिस ने एक मेडिको-लीगल विशेषज्ञ की राय के आधार पर केस दर्ज किया था। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि मृत्युपूर्व बयान दर्ज नहीं किया गया और राइस ट्यूब सुरक्षित नहीं रखी गई, लेकिन यह नहीं बताया गया कि इन बातों का मरीज की मौत से कोई सीधा संबंध था।

हाईकोर्ट का निर्णय

कोर्ट ने कहा कि जब मेडिकल बोर्ड ने लापरवाही से इनकार किया है और मौत का सीधा कारण डॉक्टरों की कार्रवाई से जुड़ा नहीं है तो एफआईआर और चार्जशीट का जारी रहना न्यायसंगत नहीं है।

इसी आधार पर अदालत ने चारों डॉक्टरों को राहत देते हुए एफआईआर और चार्जशीट दोनों को निरस्त कर दिया।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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