बिलासपुर। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि महज पुलिस कार्रवाई के आधार पर ही किसी कंपनी को ब्लैक लिस्टेड नहीं किया जा सकता। गंभीर मामलों में ही इस तरह की कार्रवाई की जानी चाहिए। कोर्ट ने कंपनी की याचिका को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार द्वारा तीन साल के लिए किए गए ब्लैक लिस्टेड की कार्रवाई को रद्द कर दिया है।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने एक कंपनी की याचिका मंजूर करते हुए तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। सीजीएमएससी ने मेडिकल उपकरण की सप्लाई के लिए वर्ष 2022 में टेंडर जारी किया था। पंचकुला, हरियाणा की कंपनी रिकार्ड्स एंड मेडिकेयर ने भी टेंडर भरा। टेंडर में असफल रहने के बावजूद कंपनी को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। बताया गया कि एक मामले में कंपनी के खिलाफ एसीबी व ईओडब्ल्यू द्वारा एफआईआर की गई है। कंपनी ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी। बताया कि अब तक किसी भी कोर्ट में उसके खिलाफ आरोप साबित नहीं हुआ है। सीजीएमएससीएल ने केवल
एसीबी व ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज एफआईआर का हवाला देकर ब्लैकलिस्ट करने की कार्रवाई की है। हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि ब्लैक लिस्टिंग की कार्रवाई मनमानी नहीं होनी चाहिए, बल्कि ठोस सबूत और न्यायसंगत प्रक्रिया पर आधारित होनी चाहिए। साथ ही कहा कि केवल एफआईआर दर्ज होने के आधार पर किसी कंपनी को ब्लैकलिस्ट करना मनमाना और अनुचित है।

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