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December 19, 2025 9:30 pm

सरस्वती शिशु मंदिर मनेन्द्रगढ़ में वृक्षारोपण कार्यक्रम,छात्रों और आचार्यों ने लिया हरियाली का संकल्पविद्यालय वाटिका में फलदार पौधों का रोपण, पर्यावरण संरक्षण का संदेश

शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं जब विद्यार्थी अपने हाथों से वृक्ष लगाते हैं, तो उनमें प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता और कर्तव्यबोध विकसित होता है

मनेन्द्रगढ़।(संवाददाता प्रशांत तिवारी) पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल करते हुए सरस्वती शिशु मंदिर मनेन्द्रगढ़ में सोमवार को वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के तहत विद्यालय समिति के पदाधिकारियों, शिक्षकों और छात्राओं ने मिलकर विद्यालय परिसर स्थित सरस्वती वाटिका में विभिन्न प्रकार के फलदार पौधों का रोपण किया।

इस अवसर पर नींबू, आम, अमरूद, कटहल जैसे उपयोगी पौधे लगाए गए, जिससे न सिर्फ हरियाली बढ़ेगी, बल्कि भविष्य में विद्यालय परिवार को प्राकृतिक उपज का लाभ भी मिलेगा।

समिति और शिक्षकों की सहभागिता

कार्यक्रम में विद्यालय समिति के व्यवस्थापक दिनेश्वर मिश्रा, कोषाध्यक्ष अधि. गणेश अग्रवाल, प्राचार्य दिनेश मिश्रा, प्रधानाचार्य दिवाकर मिश्रा, लेखापाल विनोद शुक्ला सहित कई आचार्यगण और छात्र -छात्राएं मौजूद रहे। सभी ने मिलकर श्रमदान करते हुए पौधों को रोपा और उन्हें नियमित देखभाल का संकल्प लिया।

सभी ने रखे प्रेरणास्पद विचार-

इस अवसर पर उपस्थित प्रमुखजनों ने अपने संक्षिप्त लेकिन प्रेरणास्पद उद्बोधनों में पर्यावरण के महत्व को रेखांकित किया।

व्यवस्थापक दिनेश्वर मिश्रा ने कहा वृक्ष हमारे जीवन का आधार हैं। एक वृक्ष कई पीढ़ियों को छाया, फल और जीवन देता है। विद्यालय द्वारा किया गया यह कार्य भविष्य के लिए एक मजबूत नींव है।

प्राचार्य दिनेश मिश्रा ने कहा शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। जब विद्यार्थी अपने हाथों से वृक्ष लगाते हैं, तो उनमें प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता और कर्तव्यबोध विकसित होता है।प्रधानाचार्य दिवाकर मिश्रा ने विद्यार्थियों से अपील करते हुए कहा हर बच्चा अपने जीवन में कम से कम एक वृक्ष जरूर लगाए और उसका संरक्षण करे, यही सच्चा योगदान है आने वाली पीढ़ियों के लिए।

विद्यार्थियों की भागीदारी रही सराहनीय

कार्यक्रम में विद्यालय के बालक -बालिकाओं ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। वे वृक्षारोपण के दौरान गीत, नारे और सामूहिक श्रमदान में सक्रिय रहे। उनकी ऊर्जा और समर्पण ने आयोजन को एक जीवंत रूप प्रदान किया।
वृक्षारोपण का यह आयोजन केवल पौधे लगाने की प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि यह एक संस्कार निर्माण की प्रक्रिया थी जिसमें बच्चों को प्रकृति, जीवन और दायित्व का पाठ पढ़ाया गया।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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