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July 6, 2025 4:20 am

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कानाफूसी

ये तो यूपी, बिहार जैसा सीन है


यह तो हमारे और आप दोनों के लिए नया अनुभव है। माफिया शब्द से हम सभी परिचित हैं, इसमें माइंस माफिया। नदियों से रेत निकालने और औने-पौने में बेच भी रहे हैं। रेत की ताकत तो देखिए। छत्तीसगढ़ देश के कहां-कहां से हथियार नहीं आ रहा है। तीन दिन पहले रेत घाट में फायरिंग हुई। गन चल गया। गन चला तो गोली एक के पैर में जा लगी। रेत के खेल में माफिया की एंट्री हो चुकी है। आम लोगों के पहुंच से रेत काफी दूर चला गया है। रेत के खेल में माफिया राज हावी हो गया है। आप और हम कभी यह पढ़कर अचरज में पढ़ जाते थे कि माफिया ने अफसर के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी। अफसर पर फायर कर दिया। तब अचरज लगता था और अब सहज। कारण भी साफ है। रेत के खेल में जब इनकी एंट्री होगी तो दूसरों का वेलकम भी कुछ इसी अंदाज में करेंगे, जैसा बीते दिनों हुआ। कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि इस खेल में जान पहचाने चेहरे भी हैं, जिसे आप और हम अच्छी तरह जानते हैं। देखते जाते हैं आगे-आगे क्या होता है।

सरकारी अस्पताल और संगठित गिरोह,गजब हो गया

छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे लोग जो बेहद गरीब हैं उनकी ओर कुछ खास किस्म के लोगों की नजरें लगी हुई है। या ऐसा भी कह सकते हैं कि इनकी गरीबी का फायदा उठाने गिरोह सक्रिय है। नेचरल डेथ को एक्सीडेंटल बताते ना तो इनके हाथ कांप रहे हैं और ना ही इनका जमीर। नेचरल डेथ को एक्सीडेंटल साबित करने वाले गिरोह की चालबाजी देख और सुनकर आपका रूह कांप जाएगा। जी हां। सामान्य मौत को सांप काटना बताकर सरकारी खजाने को सेंध लगा रहे हैं। इसमें डाक्टर से लेकर वकील और पता नहीं कौन-कौन शामिल है। भला हो पुलिस कप्तान का गिरोह का भांडाफोड़ करा दिया। नहीं तो पता नहीं कब तक यह गोरखधंधा चलते ही रहता।देखिए रहिए अभी और मामले सामने आएंगे। मामलों के साथ ही सफेदपोश चेहरा भी सामने आएगा।

ये पब्लिक है, सब जानती है

बिलासा एयरपोर्ट का फोर सी कैटेगरी में अपग्रेडेशन होना है। काम है कि पूरा नहीं हो पा रहा है। या ऐसा भी कह सकते हैं कि काम शुरू ही नहीं हो पा रहा है, पूरा होने का सपना तो बाद में देखना पड़ेगा। कछुआ से भी धीमी चाल। मोटी चमड़ी वाले अफसरों को फर्क ही नहीं पड़ रहा है। आप कितना भी बोलिए, डांटिए,फटकार लगाइए। कुछ फर्क नहीं। दांत दिखाया और चलते बने। सिस्टम ही कुछ ऐसा है कि कुछ हो नहीं पा रहा। तभी तो हाई कोर्ट को भी गुस्सा आ गया। लेटलतीफी का आलम ये कि अब तक एयरपोर्ट अथारिटी को जमीन नहीं मिल पाई है। डिफेंस मिनिस्ट्री को करेंट मार्केट रेट के हिसाब से पैसा चाहिए। जब तक पैसा नहीं मिलेगा जमीन नहीं देंगे। सिस्टम ऐसा कि कहीं से कुछ होते दिखाई नहीं दे रहा है। तभी तो कोर्ट को बोलना पड़ गया, एयरपोर्ट बनाना या नहीं बनाना आपकी मर्जी है, हमारा टाइम बर्बाद मत करिए। साथ ही यह भी बोल गए, जनता सब देख और समझ रही है।

मंत्री की साफगोई….. भारतमाला प्रोजेक्ट याद है ना

बुधवार को राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा बिलासपुर दौरे पर थे। सकर्रा में उप तहसील का उद्घाटन करने आए थे। लगे हाथ अफसरों की मीटिंग भी ले ली। नए कलेक्टर से मुलाकात और सरकारी मुलाजिमों से सीधी बात। डिपार्टमेंट के अफसरों की बैठक ले रहे थे। अचानक भारत माला प्रोजेक्ट याद आ गया। रायपुर से विशाखापट्नम फोरलेन सड़क निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में जो कुछ हुआ अब तो ईओडब्ल्यू के हवाले हो गया है। मुआवजा में 350 करोड़ से अधिक अफसरों ने कर दिया है। सरकारी खजाने को चोट पहुंचाने वाले अब जेल की हवा खा रहे हैं। मीटिंग के बीच मंत्री को जैसेस ही भारत माला प्रोजेक्ट की याद आई, झट अफसरों से बोले भारत माला याद है ना। भूल कर भी ऐसा मत करना।

अटकलबाजी

मंत्री के जाने के बाद अफसरों के बीच काफी देर तक इस बात की चर्चा होते रही कि आखिर मंत्री ने बिलासपुर की मीटिंग में भारत माला का उदाहरण क्यों दिया। भारत माला का तार यहां भी तो नहीं जुड़ रहा है। तार जुड़ा तो कितने लोग घेरे में आएंगे। मंत्री के जाने के बाद अफसर से लेकर माफिया की धड़कनें क्यों बढ़ी हुई है।


नेचुरल डेथ बनाम एक्सीडेंट वाले मामले का पर्दाफाश होने के बाद ऐसे कितने लोग हैं जो असहज महसूस करने लगे हैं। पीएम रिपोर्ट की पुरानी फाइल पुलिस खंगालने लगी तब क्या होगा। काला और सफेद कोट के अलावा किस डिपार्टमेंट के लोग नपेंगे।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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