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July 1, 2025 3:00 pm

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निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट ने किया रद्द

 

बिलासपुर; हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक आरोपी को अवैध शराब रखने के मामले में बरी कर दिया है। जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल के सिंगल बेंच ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।

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अर्जुन देवांगन के खिलाफ वर्ष 2012 में थाना मगरलोड, जिला धमतरी के अंतर्गत 40 क्वार्टर देशी शराब (180 मि.ली. प्रति बोतल) को अवैध रूप से मोटरसाइकिल में ले जाने का आरोप था। पुलिस ने मौके से शराब जब्त कर अभियुक्त के खिलाफ छत्तीसगढ़ आबकारी अधिनियम, 1915 की धारा 34(2) के तहत मामला दर्ज किया था। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट धमतरी ने 20 जुलाई 2012 को अर्जुन को दोषी ठहराते हुए एक वर्ष की सजा और ₹50,000 जुर्माना लगाया था। बाद में अपर सत्र न्यायालय ने 13 सितंबर 2012 को इस सजा को बरकरार रखते हुए जुर्माना घटाकर ₹25,000 कर दिया था।
अर्जुन देवांगन की ओर से अधिवक्ता संजीव कुमार साहू ने हाई कोर्ट में तर्क दिया कि, जब्ती के दो स्वतंत्र गवाह ने पुलिस की कार्रवाई का समर्थन नहीं किया। जब्ती पत्र में सैंपल सील का उल्लेख नहीं है। जब्त की गई शराब को सुरक्षित और सील अवस्था में मलकाना में जमा नहीं किया गया था। पुलिस और गवाहों के बयानों में समय और स्थान को लेकर गंभीर विरोधाभास हैं।

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कोर्ट ने पाया कि, अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों में आपसी विरोधाभास है। जब्ती की कार्रवाई मौके पर नहीं, बल्कि पुलिस चौकी में की गई थी। मलकाना रजिस्टर में सील की स्थिति का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है, जो कि आबकारी अधिनियम की धारा 57ए का उल्लंघन है। इन सभी तथ्यों के आधार पर अदालत ने यह माना कि अभियोजन पक्ष आरोपित के खिलाफ मामला संदेह से परे सिद्ध करने में असफल रहा। इस आधार पर आरोपित अर्जुन देवांगन को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त करार दिया गया और जुर्माने की राशि (यदि जमा की गई हो) को वापस करने का निर्देश दिया गया।

रवि शुक्ला
रवि शुक्ला

प्रधान संपादक

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